देश की आर्थिक नब्ज अगर तीन दिनों तक आतंकवादियों के शिकंजे में रहे तो न सिर्फ भारत का दिल यानी दिल्ली की धड़कन तेज हो जाती है ।
बल्कि मानों पूरे देश को ही लकवा मार जाता है। यही वजह है कि चुनावी मौसम में भी देशभर में हर गली-कूचे, चौराहे-घर और दफ्तर-बाजार में बैठे लोगों के आंख-कान मुंबई पर लगे रहे।
सबकी जुबां पर एक ही चर्चा था कि आखिर यह क्या हो रहा है? यह आतंकवादी हमला है या फिर कोई जंग?
चुनावी रंग उड़ा: तीन दिनों पहले विधानसभा चुनावों के रंग में रंगे राज्यों के अखबारों की सुर्खियों में पहले पन्ने पर कहीं भी चुनाव की खबरें नजर नहीं आईं।
लोगों के बीच भी चुनाव की बातचीत अगर गाहे-बगाहे हुई भी तो इस बात पर कि दहशत के इस खूनी पंजे से कौन सा दल बचा सकता है या फिर कौन से दलों के नेता इस समस्या के लिए जिम्मेदार हैं।
साइबर और मोबाइल जगत में होती रही चर्चा: चाहे वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लाग्स हों या फिर मोबाइल पर एसएमएस, हर कहीं मुंबई में मची दहशत को लेकर अलग-अलग अंदाज में लोग चर्चा करते रहे।
यहां तक महानायक अमिताभ बच्चन और आमिर खान ने भी अपने-अपने ब्लॉग में इसी दहशत को लेकर अपनी भावनाओं को लोगों तक पहुंचाया।
बिग बी ने अपने ब्लॉग में लिखा – जिस तरह आतंकवादी हमला हुआ, उसके बाद गुरुवार रात मैंने पहली बार ऐसा किया।
मुझे उम्मीद है कि दोबारा ऐसा करने की नौबत नहीं आएगी। रात सोने से पहले मैंने अपनी लाइसेंसशुदा .32 रिवॉल्वर निकाली, उसे भरा और अपने तकिए के नीचे रख दिया।
लोग चिपके रहे टीवी से: मुंबई ही नहीं, देशभर के शहरों में लोग इस घटना से इस कदर जुड़ा हुआ महसूस कर रहे थे कि पिछले तीन दिनों से लगातार अमूमन वे टीवी में आ रही पल-पल की खबरों को अपलक देखते रहे।
हालत यह रही कि 27 नवंबर को हिंदी समाचार चैनलों की रेटिंग में चार गुना का इजाफा हुआ।