खराब गुणवत्ता के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों के बार-बार नुकसान हो जाने के मामलों के बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव गिरिधर अरमाने ने आज राजमार्ग संचालकों को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने उनसे राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने या भारी जुर्माना का सामना करने को कहा है।
सचिव ने कहा कि सरकार अब बिल्डरों के कामचलाऊ रवैये को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा,’सबसे बड़े रियायतकर्ताओं में भी इस तरह का रवैया चिंता का कारण बना हुआ है। ‘
अरमाने ने कहा ‘सरकार में हम ऐसे रवैये से परेशान हैं। इसलिए हमारी कोशिश है कि हम बड़े ठेकेदारों, डेवलपरों और अभियंताओं को कठोर तरीके से दंडित करें। आप देखेंगे कि अगले कुछ महीने में बहुत बड़ी संख्या में इस तरह के दंड लगाए जाएंगे। इसलिए मेरा अनुरोध है कि सड़क परियोजनाओं के निर्माण और रखरखाव में गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा जाए।’
सचिव ने हालिया घटनाओं का जिक्र किया। जैसे हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग का एक हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो गया। जिसका वीडियो इस हफ्ते की शुरुआत में सोशल मीडिया पर वायरल भी हुआ। अरमाने ने कहा कि उन्होंने गुजरात के राष्ट्रीय राजमार्ग- 8 के शामलाजी से मोटा-चिलौदा खंड की जांच का निर्देश भी दिया है। भारत के राजमार्ग संचालकों की वार्षिक सभा में राजमार्ग डेवलपर और ऑपरेटर उद्योग को संबोधित करते हुए सचिव ने निवेशकों से कहा कि राजमार्ग के निर्माण के दौरान ही गुणवत्ता और डिजाइन पर ध्यान केंद्रित करने से भविष्य में रखरखाव की लागत में काफी कमी आएगी। अरमाने ने कहा कि केंद्र ने राजमार्ग बिल्डरों और ऑपरेटरों के लिए तकनीक का उपयोग आसान कर दिया है लेकिन उनके द्वारा इसका उपयोग नहीं किया जाना खेदजनक है। सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार ठेकेदार किसी भी ऐसी तकनीक का उपयोग कर सकते हैं जिसे विश्व में किसी भी सुरक्षा मानक संगठन द्वारा अनुमति दी गई है। इसके लिए उन्हें किसी अनुमोदन की भी आवश्यकता नहीं है। अरमाने ने कहा कि ठेकेदार प्री कास्ट कंक्रीट और अल्ट्रा हाई परफॉरमेंस कंक्रीट जैसी नई तकनीक भी नहीं अपना
रहे हैं।
उन्होंने कहा कि टोल संग्रह में भी बेहतर तकनीक अपनाने की जरूरत है। खराब गुणवत्ता वाले कैमरों से फास्ट टैग का उद्देश्य को विफल हो रहा है। जहां प्रति वाहन औसत लेन-देन का समय 20-25 सेकंड से अधिक नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि निवेशकों को इन परेशानियों से वाकिफ होना चाहिए, सुरक्षा समस्याओं से टोल राजस्व कम होने का भी खतरा बढ़ने की आशंका है।
बीते दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया था कि दुनियाभर में सबसे अधिक भारत में ही सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मौत होती है। आने वाले सालों में सरकार इसपर कमी लाना चाहती है। सड़क दुर्घटनाओं में 50 फीसदी तक की कमी अगले दो वर्षों में लाने का उनका लक्ष्य है। हालिया आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में देश में 3.66 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1.30 लाख लोगों की जान चली गई। अरमाने ने निवेशकों से कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि वे आर्थिक विकास से अछूते नहीं हैं और उन्हें गतिशील अर्थव्यवस्था के निर्माण में अपनी भूमिका निभाने की भी जरूरत है।
