देश भर में उपभोक्ताओं को अब बिजली आपूर्ति के लिए सेवा के न्यूनतम मानक का अधिकार होगा। इसमें 24 घंटे बिजली आपूर्ति भी शामिल होगी। इसमें छूट तभी मिल सकती है जब कनेक्शन में किसी विशेष श्रेणी जैसे कि कृषि कनेक्शन का उल्लेख किया गया हो।
विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम, 2020 की अधिसूचना की घोषणा करते हुए विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आर के सिंह ने कहा, ‘देश भर की वितरण कंपनियों, चाहे सरकारी हों या निजी, के पास एकाधिकार है और उपभोक्ता के पास कोई विकल्प नहीं है, ऐसे में यह आवश्यक था कि उपभोक्ता अधिकरों को नियमबद्घ किया जाए और इन अधिकारों पर अमल कराने वाली प्रणाली की व्यवस्था की जाए।’
इन नियमों में उपभोक्ताओं के अधिकारों और वितरण लाइसेंसधारकों की बाध्यताओं, नए कनेक्शन को जारी करने तथा मौजूदा कनेक्शन में बदलाव, मीटर की व्यवस्था, बिल और भुगतान सहित विभिन्न बातों का उल्लेख किया गया है।
एक स्वत: क्षतिपूर्ति तंत्र बनाया जाएगा। इसमें एक खास अवधि के ऊपर उपभोक्ता को आपूर्ति नहीं देना और आपूर्ति में एक निश्चित संख्या में बाधाएं शामिल हैं जिनका उल्लेख नियामक आयोग द्वारा किया जाएगा।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘वितरण लाइसेंसधाकर सभी उपभोक्ताओं को सप्ताह में सात दिन 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करेंगे। हालांकि, आयोग कुछ श्रेणी के उपभोक्ताओं जैसे कि कृषि आदि के लिए कम घंटे की आपूर्ति का उल्लेख कर सकते हैं।’ केंद्रीय विद्युत सचिव एस एन सहाय के मुताबिक यह छूट इसलिए दी गई है कि खेतों में पानी डालने के लिए सातों दिन 24 घंटे पंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है।
नियमों में कहा गया है कि यह प्रत्येक वितरण लाइसेंसधारक का कर्तव्य है कि वह अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप किसी परिसर के मालिक या पट्टेदार के आग्रह पर बिजली की आपूर्ति करे। नया कनेक्शन महानगरों में अधिकतम सात दिनों में, अन्य नगर निगम क्षेत्र में 15 दिनों में और ग्रामीण इलाकों में 30 दिनों में देना होगा।
राज्य सरकारों के नियंत्रण वाली विद्युत वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा इन नियमों के क्रियान्वयनता को लेकर बिजनेस स्टैंडर्ड की ओर से पूछे गए प्रश्न जवाब में सिंह ने कहा, ‘विद्युत संघ सूची का विषय है और केंद्र के पास नियम बनाने की शक्ति है जिसे सभी को लागू करना होगा। इन अधिकारों को अधिसूचित कर दिया गया है और अब यह डिस्कॉम का दायित्व है कि वे इनके बारे में सभी उपभोक्ताओं को जानकारी दें।’ सिंह ने कहा कि राज्य विद्युत नियामक आयोग कठोर समयसीमा और सेवा गुणवत्ता मानदंड तैयार कर सकते हैं लेकिन उभोक्ताओं के इन अधिकारों को कम नहीं कर सकते हैं। जे सागर ऐसोएिट्स के पार्टनर अनुपम वर्मा ने कहा, ‘ऊपर से थोपे जाने के कारण इन नियमों से टकराव और राज्य विद्युत नियामक आयोगों द्वारा पहले से बनाए गए/उल्लिखित प्रदर्शन मानकों में असंगति की स्थिति बन सकती है। उस संदर्भ में इन नियमों का राज्य विद्युत नियामक आयोगोंं के विशेष क्षेत्र पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। विद्युत अधिनियम, 2003 के तहत उपभोक्ता अधिकारों और हितों का संरक्षक केंद्र और राज्य स्तरों पर नियामक आयोग हैं।’
ये नियम इस साल सितंबर में जारी मसौदे पर आधारित हैं। सिंह ने कहा कि मसौदे पर करीब 100 सुझाव मिले थे और इन्हें अंतिम नियमों में शामिल किया गया है।
इन नियमों में उपभोक्ता को प्रोज्यूमर भी माना गया है। प्रोज्यूमर का उपभोक्ता वाला दर्ज बरकरार रहेगा और सामान्य उपभोक्ता को मिले अधिकार उसे प्राप्त होंगे और इसके साथ ही उन्हें अक्षय ऊर्जा उत्पादन इकाई लगाने का भी अधिकार होगा जिसमें छत की सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणाली भी शामिल है।
