भारत में बीमा की पहुंच बहुत कम लोगों तक है, लेकिन बीमा नियामक का मानना है कि इसका समाधान बीमा अनिवार्य किया जाना नहीं है क्योंकि भारत ऐसे दौर में है जहां यह उत्पाद मांग पर आधारित होना चाहिए। नियामक का कहना है कि बीमा उद्योग या विभिन्न अन्य हिस्सेदारों द्वारा इसके लिए ग्राहकों पर दबाव नहीं डाला जा सकता है।
आईआरडीएआई के सदस्य (गैर-जीवन) टीएल अलामेलु ने कहा, ‘सामान्यतया यह फीडबैक आता है कि नियामक या सरकार को कुछ तरह का बीमा अनिवार्य करना चाहिए, लेकिन बीमा को अनिवार्य किया जाना समाधान नहीं है।’ नैशनल इंश्योरेंस एकेडमी के 16वें सालाना बीमा सम्मेलन में बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘टाइटल इंश्योरेंस, ड्रोन इंश्योरेंस और हाउसहोल्ड इंश्योरेंस को अनिवार्य किए जाने की मांग होती रही है। हमारे सामने मोटर थर्ड पार्टी इंश्योरेंस का उदाहरण है, जो कानून के माध्यम से अनिवार्य किया गया है, लेकिन अब भी बीमा न होने के मामले बड़ी संख्या में हैं।’ नियामक अब राज्यों को प्रोत्साहित कर रहा है कि वे बगैर बीमा वाले वाहनों का विस्तृत ब्योरा साझा करे, जिससे वाहन मालिकों को रिमाइंडर व संदेश भेजे जा सकें।
स्वास्थ्य बीमा के बारे में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा उद्योग को विश्वास की कमी की चिंता को दूर करने की जरूरत है। इस मकसद से नियामक ने स्वास्थ्य बीमा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए बीमा के मानकीकरण की कवायद की है, खासकर परिभाषाओं, पहले से मौजूद बीमारियों, पोर्टबिलिटी व माइग्रेशन मानकों को व्यापक करने जैसे कदम इसमें शामिल हैं।
इसके अलावा नियामक ने तमाम मानकीकृत स्वास्थ्य बीमा जैसे आरोग्य संजीवनी, कोविड से जुड़े दो बीमा कोरोना कवच और कोरोना रक्षक पेश किए हैं। वेक्टर जनित रोगों के लिए मानक उत्पाद लाने के लिए मसौदा नियम तैयार किए गए हैं। साथ ही मानक सावधि उत्पाद सरल जीवन बीमा पर भी काम हो रहा है। नियामक कुछ अन्य मानक सावधि बीमा पर भी काम कर रहा है।
मानक उत्पादों को पेश कर नियामक जहां ग्राहकों के अनुभव बेहतर करने की कवायद कर रहा है, वहीं सेवा प्रदाताओं की ओर से बीमाकर्ताओं को होने वाली समस्याओं को भी संज्ञान में ले रहा है। अलामेलु ने कहा, ‘उपचार के शुल्क को लेकर स्पष्टता नहीं है। इस अवधि के दौरान कैशलेस दावे स्वीकार न किए जाने के मामले सामने आए। कभी कभी उपचार के शुल्क में भारी अंतर होता है।’ उन्होंने कहा, ‘सभी हिस्सेदारों को साथ मिलकर काम करना होगा और कुछ हद तक शुल्क का मानकीकरण करना होगा, खासकर सामान्य प्रक्रिया के मामलों में। हम उद्योग और सेवा प्रदाताओं से कह रहे हैं कि वे मानकीकरण करें, जिससे स्वास्थ्य बीमा उद्योग को तत्काल बढ़ावा मिलेगा।’
कोविड-19 का बीमा क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ा है। भौतिक हस्तक्षेप न होने के कारण प्रीमियम कम आया है। हालांकि जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के चेयरमैन एमआर कुमार का मानना है कि महामारी के कारण ग्राहकों की जागरूकता बढ़ी है,जिसकी वजह से परंपरागत जीवन बीमा कारोबार जैसे टर्म एवं इंडाउनमेंट पर सकारात्मक असर पड़ा है।
