इंजीनियर अब नौकरी नहीं करेंगे, उद्यमी बनेंगे। दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (डीसीई) इंजीनियरों को उद्यमी बनाने के लिए एक ‘कारखाना’ स्थापित कर रहा है।
दिल्ली सरकार और अन्य बड़ी कंपनियों के आर्थिक सहयोग से तैयार होने वाले इस कारखाने में इंजीनियरों को अपनी बौद्धिक क्षमता विकसित करने के साथ उसे बाजार में बेचने जैसी सुविधाएं भी होंगी।
डीसीई ने इसे ‘नॉलेज पार्क’ का नाम दिया है। डीसीई परिसर के 15,000 वर्गमीटर में बन रहे इस नॉलेज पार्क के निर्माण पर फिलहाल 60 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
दो साल में इस पार्क के तैयार हो जाने की उम्मीद है। सबसे बड़ी बात है कि इस पार्क से इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों को भी उद्यमशीलता के जरिए लाखों रुपये कमाने के मौका मिलेगा।
डीसीई के निदेशक प्रोफेसर पीबी शर्मा कहते हैं, ‘इस पार्क का मुख्य आकर्षण ज्ञान की बुनियादी सुविधा (नॉलेज इंफ्रास्ट्रक्चर) होगी। मतलब नये-नये आविष्कार करने की सोच को विकसित करने के साथ उसे मूर्त रूप देने का पूरा मौका।’
इस पार्क में दो टॉवर होंगे। एक ‘टॉवर ऑफ साइंस’ तो दूसरा ‘टॉवर ऑफ इंजीनियरिंग।’ दोनों एक-दूसरे से जुड़े होंगे। इन टॉवर में नॉलेज इंटरप्राइज हब, नॉलेज इंडस्ट्री फ्लोर, कॉरपोरेट ब्लाक जैसी चीजें होंगी।
टॉवर ऑफ साइंस अद्भुत तकनीक से लैस होगा, तो टॉवर ऑफ इंजीनियरिंग इस प्रकार के ज्ञान से भरे होंगे जिससे इंजीनियरों को अपनी उद्यमशीलता के लिए कुछ नया करने का मौका मिले।
अभी देश में इस प्रकार के दो नॉलेज पार्क हैं। लेकिन किसी कॉलेज में नॉलेज पार्क खोलने का यह पहला मौका है।