भारतीय रेलवे के कई मार्गों पर सुगम यातायात में आ रही कठिनाइयों के बीच अब सरकार विकल्प तलाश रही है ताकि एक और बिजली संकट को टाला जा सके। बिज़नेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि राजस्थान पहली बार रेल-समुद्र-रेल (आरएसआर) मार्ग का उपयोग कर तापीय कोयला खरीदेगा, जो तटीय नौवहन के नाम प्रचलित है। मौजूदा आपूर्ति दबाव और भारी मॉनसून के कारण रेलवे के कई व्यस्त हिस्सों के जाम होने के कारण ऐसा किया जा रहा है।
राजस्थान, जिसे छत्तीसगढ़ परसा कांटा कोयला खंड से बिजली उत्पादन के लिए बड़ा हिस्सा मिलता है। वहां की सरकार ने कई नियामक बाधाएं लगाई हैं जिससे उसे आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
वर्ष 2020 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मिले आदेश के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की सभी कोयला वाशरीज को बंद कर दिया है। इस कमी से निपटने के लिए सरकार को ओडिशा के महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) खदानों से कोयला आंवटित किया गया था।
एमसीएल राष्ट्रीय खनिक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की सात सहायक कंपनियों में से एक है।
कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोयले की आवाजाही के लिए राजस्थान पहली बार सागरमाला मार्ग का उपयोग करेगा। यह रेलवे का उपयोग कर के ओडिशा के तालचर से पारादीप बंदरगाह पर कोयला लादेगा और इसे तटीय नौवहन के माध्यम से गुजरात के दीनदयाल बंदरगाह ट्रस्ट (कांडला पोर्ट) तक ले जाएगा।
यहां से रेलवे मार्ग का उपयोग कर के इसे जरूरतमंद ताप विद्युत संयंत्रों तक पहुंचाया जाएगा। 2015 में केंद्र ने कोयला खंड आवंटन के पहले दौर के दौरान राजस्थान ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड को परसा कांटा आवंटित किया था। उक्त कोयला खंड का खान विकासकर्ता और संचालक अदानी माइनिंग है।
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधिकारी ने पुष्टि की कि राज्य ने मांग उठाई है हालांकि कोई भी जहाज अब तक किराए पर नहीं लिया गया है। कांडला-राजस्थान रेलमार्ग पर यातायात की समस्या है और हल करने के लिए विमर्श जारी है।