भारत के विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को दो साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों में इस्तेमाल के लिए मंजूरी देने की सिफारिश की जिसके बाद, प्रतिरक्षा विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों ने कहा कि इस समय कोविड-19 से बचाव के लिए बच्चों को टीका लगाने की कोई जल्दी नहीं है। कुछ विशेषज्ञों जैसे कि सूक्ष्मजीव विज्ञान विशेषज्ञ और क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेलूर की प्रोफेसर गगनदीप कांग ने बताया कि अन्य बीमारियों से पीडि़त बच्चों के डेटा से यह पता चलता है कि एमआरएनए दांव लगाने के लिए सबसे बेहतर टीका है।
कुछ सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टीका लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है। आईसीएमआर एनआईई की वैज्ञानिक सलाहकार समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश मुलियिल ने कहा, ‘टीकाकरण का उद्देश्य लोगों की जान बचाना है। यह जोखिम बच्चों के लिए नहीं है। एक समिति तकनीकी रूप से सक्षम हो सकती है लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से इसका कोई औचित्य नहीं है।’ मुलियिल ने कहा कि इस स्तर पर टीकाकरण का उद्देश्य संक्रमण के प्रसार को कम करना है। विशेषज्ञों ने कहा कि टीके को मंजूरी देना एक बात है और टीके लगाना एक अलग बात है। मुलियिल ने कहा कि इस स्तर पर टीकाकरण का मकसद संक्रमण के प्रसार को कम करना है। मुलियिल ने कहा, ‘अगर टीकाकरण उन बच्चों की मदद करने के लिए है जिनके मरने का खतरा है तो इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि टीका काम करेगा। टीकाकरण के बाद भी कई लोगों को संक्रमण हो सकता है।’ कांग इस बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि टीके का परीक्षण सीमित लोगों पर और नियंत्रित परिस्थितियों में किया जाता है।
वह कहती हैं, ‘फि लहाल हमारे पास राष्ट्रीय स्तर के आंकड़े नहीं हैं कि कितने संक्रमित बच्चे अस्पतालों में पहुंचे या कितने गंभीर मामले सामने आए। हम सीरो-सर्वेक्षण से जानते हैं कि लगभग 60 प्रतिशत बच्चे संक्रमित हैं। इसका मतलब यह है कि लगभग 24 करोड़ बच्चे (कुल मिलाकर अनुमानत: 40 करोड़ बच्चे) कोरोनावायरस से संक्रमित थे। हमें यह जानने की जरूरत है कि उनमें से कितने बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, कितने में गंभीर लक्षण दिखे या कितने लोगों की मौत हो गई। हमारे पास राष्ट्रीय स्तर के डेटा नहीं है।’
