स्वयंसेवी संगठन प्रथम द्वारा शिक्षा की स्थिति पर जारी की जाने वाली सालाना रिपोर्ट (असर) 2021 के मुताबिक देश भर में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन तेजी से बढ़ा है। देश भर से जुटाए गए आंकड़ों के मुताबिक इस आयु वर्ग के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन 2018 के 64.3 फीसदी से बढ़कर 2021 में 70.3 फीसदी हो गया जबकि निजी स्कूलों में यह 32.5 फीसदी से घटकर 24.4 फीसदी रह गया। सन 2020 में निजी स्कूलों में नामांकन कम हुआ था लेकिन उस वर्ष सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित होने के बजाय बच्चों के नाम न लिखाया जाना प्रमुख वजह थी। 2020 में निजी स्कूलों में 6 से 14 वर्ष के बच्चों का नामंाकन 32.5 फीसदी से घटकर 28.8 फीसदी रह गया था जबकि सरकारी स्कूलों में यह 65 फीसदी पर स्थिर रहा था।
जिन सरकारी शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों को सर्वे में शामिल किया गया उनमें से 70 फीसदी ने कहा कि उनके यहां नामांकन बढ़ा है। 40 फीसदी ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ कि निजी विद्यालयों में पढ़ाई नहीं हो रही है। इसके लिए प्रवासन को 15 फीसदी ने वजह बताया जबकि 62 फीसदी ने कहा कि वित्तीय संकट की वजह से मातापिता निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों का रुख कर रहे हैं। इसके लिए 50 फीसदी ने सरकारी स्कूलों की नि:शुल्क सुविधाओं को वजह बताया।
महामारी के कारण डिजिटल शिक्षा पर जोर तेजी से बढ़ा और ऐसे में स्मार्ट फोन शिक्षण-प्रशिक्षण का प्रमुख जरिया बन गए क्योंकि स्कूल बंद थे। ऐसे में वंचित वर्ग के बच्चों के पीछे छूट जाने की आशंका ने भी जोर पकड़ा। सन 2018 से 2021 के बीच स्मार्ट फोन का स्वामित्व दोगुना हो गया। 2018 के 36.5 फीसदी से बढ़कर यह 2021 में 67.6 फीसदी हो गया। बहरहाल निजी स्कूल में पढऩे वाले 79 फीसदी बच्चों के पास घर में स्मार्ट फोन है जबकि सरकारी स्कूलों में यह 63.7 फीसदी बच्चों के पास ही है। 2020 में असर ने पाया था कि मार्च 2020 में लॉकडाउन लगने के बाद 10 में से एक बच्चे की पढ़ाई के लिए स्मार्ट फोन खरीदा गया था। 2021 में यह आंकड़ा बढ़कर 27.9 फीसदी हो गया। सभी कक्षाओं के नामांकित बच्चों में 67.6 फीसदी के घर में कम से कम एक स्मार्ट फोन था जबकि 26 फीसदी की पहुंच स्मार्ट फोन तक नहीं थी।
सर्वे में यह भी पाया गया कि स्मार्ट फोन की उपलब्धता का यह अर्थ नहीं है वह बच्चों की पहुंच में होगा। दो तिहाई से अधिक नामांकित बच्चों के घर में स्मार्ट फोन था लेकिन इनमें से एक तिहाई की पहुंच फोन तक नहीं थी।
