केंद्र सरकार संपत्ति मुद्रीकरण के अपने लक्ष्य को लेकर उत्साहित है, लेकिन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (इनविट) के माध्यम से भारतीय रेलवे की 18,000 करोड़ रुपये की संपत्ति मुद्रीकरण योजना के मूर्त रूप लेने की संभावना कम है।
सरकार की 6 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति मुद्रीकरण योजना में रेलवे का अंशदान दूसरे स्थान पर (26 प्रतिशत) है। ऐसे में अगर रेलवे के संपत्ति मुद्रीकरण में कमी आती है तो केंद्र के लक्ष्य पर असर पड़ सकता है।
इस मामले से जुड़े एक अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इनविट बनाना एक लंबी प्रक्रिया है। इसे संपत्तियों के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा, जो बाजार को स्वीकार्य भी हो। इसके लिए प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जैसे नियामकों से मंजूरी लेनी होगी और इस योजना को सभी हिस्सेदार मंत्रालयों और अधिकारप्राप्त समितियों से सहमति लेनी होगी, जिनकी राय को इसमें समाहित किया जाएगा। ऐसा करने के लिए उल्लेखनीय वक्त लगने की संभावना है।’
मंत्रालय को अपनी परामर्श सलाह फर्म की ओर से सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी के लिए अंतरिम रिपोर्ट मिली है। इनविट सहित विभिन्न विकल्पों पर रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और शीर्ष अधिकारियों के बीच चर्चा की जाएगी और उसके बाद फर्म द्वारा अंतिम रिपोर्ट तैयार की जाएगी। अधिकारी ने कहा, ‘वर्तमान में हमारे पास इनविट के लिए एक संक्षिप्त संरचना है। इसके आधार पर मूल्यांकन चल रहा है। इसके बाद इसे स्पष्ट मौद्रिक लक्ष्यों और परिसंपत्ति संरचनाओं के साथ एक योजना के रूप में तैयार किया जाएगा। इस पर अभी आंतरिक विचार विमर्श चल रहा है।’
सभी इनविट प्रस्तावों को सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी मंजूरी समिति (पीपीपीएसी) से हरी झंडी जी जाएगी, जिसकी अगुआई वित्त मंत्रालय का आर्थिक मामलों का विभाग कर रहा है। अंतिम पीपीपीएसी की बैठक दिसंबर में हुई थी।
इस मामले से जुड़े निजी क्षेत्र के सूत्रों ने कहा कि रेलवे इनविट के साथ निरंतर चल रहा मसला संपत्तियों के परिचालन नियंत्रण के साथ भाग लेने को लेकर अनिच्छा है। पिछले साल अगस्त में पीपीपीएसी ने गैस पाइपलाइन के मुद्रीकरण की गेल इंडिया के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, क्योंकि वह संपत्ति का परिचालन नियंत्रण अपने हाथों में रखना चाहती थी। रेल मंत्रालय को भेजी गई उपरोक्त उल्लिखित अंतरिम रिपोर्ट में पीपीपीएसी की अहम जरूरतों का पालन करते हुए परिचालन संबंधी तकनीक के संबंध में रेलवे की विशेष जरूरतों को समाहित करने का प्रयास किया गया है।
इस अखबार ने पहले खबर दी थी कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और पावरग्रिड की शुरुआती सफलता के बाद सरकार रेलवे, बंदरगाह संपत्तियों और गैस पाइपलाइन के लिए इनविट में तेजी लाना चाहती है।
केंद्र को इस इंस्ट्रूमेंट के माध्यम से कुछ खास लाभ नजर आ रहा है। नीति आयोग ने अपनी राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन रिपोर्ट में कहा है, ‘इस ढांचे में भारतीय रेल के पास फंड के प्रतिस्पर्धी लागत पर घरेलू और विदेशी दीर्घावधि पूंजी का दोहन करने की सुविधा है। इनविट की इकाइयों का विनिवेश रेलवे को प्रायोजक के रूप में सब कॉन्ट्रैक्टिंग रेवेन्यू के रूप में और ओऐंडएम व्यय और इनविट में बची इक्विटी होल्डिंग पर लाभांश आय प्रदान करता है।’
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे को इस वित्त वर्ष में 57,222 करोड़ रुपये की संपत्ति का मुद्रीकरण करना है, जिसमें से ज्यादातर ट्रैक सिग्नलिंग और ओवरहेड इक्विपमेंट (ओएचई), इनविट (18,700 करोड़ रुपये) रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास (29,305 करोड़ रुपये) और यात्री रेल परिचालन (7,002 करोड़ रुपये) से आएगा।
