श्वसन चिकित्सा बाजार की अग्रणी कंपनी सिप्ला को आगामी महीनों में श्वसन संबंधी बीमारियों की दवाओं और इनहेलर्स की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। कंपनी का मानना है कि सर्दी बढऩे और कोविड-19 की दूसरी लहर के डर से इन दवाओं की मांग में तेजी आ सकती है।
भारत में श्वसन संबंधी बीमारियों की दवा श्रेणी में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी 68.7 फीसदी है। कंपनी ने अपनी आपूर्ति को दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया है ताकि आगामी महीनों में इन महत्त्वपूर्ण दवाओं की कोई कमी न होने पाए। सर्दियों में आमतौर पर प्रदूषण का स्तर (विशेष रूप से उत्तर भारत में) बढऩे और पर्यावरण संबंधी अन्य कारणों से सांस की बीमारियों में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। सिप्ला श्वसन संबंधी बीमारियों के उपचार बाजार की अग्रणी कंपनी बनना चाहती है जबकि फिलहाल वह दुनिया में दूसरे पायदान पर मौजूद है।
कोविड-19 से ठीक होने वाले लोग भी बीमारी के बाद के प्रभाव के रूप में फेफड़े एवं सांस संबंधी अन्य बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं। चीन में कोविड-19 से उबरने वाले 55 लोगों पर किए गए एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि अस्पताल छोडऩे के तीन महीने बाद भी अध्ययन में शामिल लगभग 70 फीसदी लोगों के फेफड़ों के स्कैन असामान्य थे। इससे पता चलता है कि उनके फेफड़े क्षतिग्रस्त हैं और वे खुद को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं।
ईक्लीनिकामेडिसिन ने चीन के हेनान प्रांत की एक टीम से यह निष्कर्ष निकाला जिसका नेतृत्व झेंग्झाउ विश्वविद्यालय के पहले मान्यता प्राप्त अस्पताल के एगू झू, झेंग्झाउ विश्वविद्यालय के यानफेंग गाओ और अुआंगशान पीपल्स हॉस्पिटल के होंग लुओ ने किया।
सिप्ला के वैश्विक मुख्य वित्तीय अधिकारी केदार उपाध्याय ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कहा कि सिप्ला के श्वसन विभाग में सूंघने और खाने वाली दवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘सर्दियां, एलर्जी, प्रदूषण, कोविड-19 के बाद की जटिलताएं आदि तमाम कारकों के कारण इस अवधि में श्वसन संबंधी बीमारियों के उपचार की दवाओं की मांग बढ़ सकती है।’
उपाध्याय ने कहा कि कंपनी अपने स्टॉक और आपूर्ति शृंखला के बीच बेहतर तालमेल बिठाने की तैयारी कर रही है ताकि मरीजों को इन दवाओं की कोई कमी न होने पाए। उन्होंने कहा, ‘मांग बढऩे की संभावना है और उभरते बाजारों में सांस की बीमारियों से संबंधित हमारी कई दवाएं आने वाली हैं जिनसे हमारी बिक्री को रफ्तार मिलेगी।’
सिप्ला ने हाल में सांस की बीमारी और इन्हेलर के उपयोग के लिए अपने जागरूकता अभियान बेरोक जिंदगी 3.0 को लॉन्च किया है। उपाध्याय ने कहा कि इस अभियान को स्थानीय भाषाओं में चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लोग यह जानकार खुश हो रहे हैं कि इनहेलर सुरक्षित होता है।
पिछले कुछ महीनों के दौरान सिप्ला ने घरेलू बिक्री में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की जिसे उसके कोविड-19 पोर्टफोलियो – रेमडेसिविर (सिपरेमी), टोसिलिजुमैब (रॉश से लाइसेंस प्राप्त) और फैविपिराविर (सिपलेंजा) में दमदार बिक्री से बल मिला। कंपनी ने करीब 1,50,000 मरीजों को इन तीन दवाओं की आपूर्ति की है जिसका डॉक्टरों द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए सहायक उपचार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। सितंबर तिमाही में कंपनी के भारतीय कारोबार में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 17 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इसमें पर्ची वाली दवा कारोबार में 14 फीसदी की वृद्धि हुई। कोविड-19 दवाओं के लिए कंपनी द्वारा संचालित चौबीसों घंटे हेल्पलाइन के जरिये करीब 95,000 रोगियों को सेवाएं दी गईं।
