पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन के सिंह ने गुरुवार को कहा कि देश की संसदीय समितियों के कामकाज के साथ-साथ कृषि, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाकर ही अगले तीन दशक में अर्थव्यवस्था को अधिक सक्षम और समावेशी बनाया जा सकता है। उन्होंने रक्षा बलों के आधुनिकीकरण, केंद्र राज्य संबंधों की समीक्षा और जलवायु परिवर्तन के मसले को हल करने पर भी जोर दिया।
बिज़नेस स्टैंडर्ड सीमा नेज़रेथ अवार्ड के अवसर पर ‘आर्थिक सुधार के तीस वर्ष: अतीत, वर्तमान और भविष्य’ शीर्षक के तहत व्याख्यान दे रहे सिंह ने कहा कि जीएसटी की बुनियादी रूप से समीक्षा की आवश्यकता है ताकि व्युुतक्रम शुल्क ढांचे से निजात पाई जा सके और तीन दरों और कंप्रेस्ड दरों को लागू किया जा सके।
मॉनसून सत्र में शोरगुल के बीच विधेयकों को पारित किए जाने पर सिंह ने कहा कि संसद में एक ही संस्था सुधार ला सकती है और वह है स्वयं संसद। उन्होंने कहा कि कुछ प्रक्रियात्मक बदलावों की मदद से हल्का परिवर्तन आ सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि संसद की स्थायी समितियों के कामकाज में सुधार के लिए विषय विशेषज्ञों की सलाह ली जानी चाहिए। साथ ही इनके सुझावों को भी गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
हाल ही में थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इकनॉमिक ग्रोथ के अध्यक्ष चुने गए सिंह ने कहा कि स्वतंत्र नियामकों के कामकाज के अधीक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र नियामकों का काम पहले संबंधित प्रशासनिक मंत्रालय करता था और अनुदान मांगों पर चर्चा के समय संसद उनकी जांच परख करती थी। परंतु स्वतंत्र कानून बनने के बाद क्षेत्रवार नियामक बने हैं और उनके काम की निगरानी कार्यपालिका और संसद दोनों के हाथ में नहीं है।
उन्होंने कहा कि मंत्रालय इसलिए उनकी जांच नहीं कर सकते क्योंकि ये नियामक संसद के स्वतंत्र अधिनियमों के अधीन काम करते हैं और संसद को कभी उनके कामकाज पर चर्चा का अवसर ही नहीं मिलता। सिंह ने कहा, ‘यदि नियामकीय संस्थाओं और संसद की स्थायी समितियों के बीच नियामकीय संस्थाओं के काम को लेकर समय-समय पर चर्चा की परंपरा डाली जाए तो यह एक बेहतर कदम होगा।’
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि सुपर रेग्युुलेटर (सर्वोच्च नियामक) की नियुक्ति को लेकर विकल्प खुला है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय स्वतंत्र डेट कार्यालय की नियुक्ति को लेकर बहस शुरू करने के लिए उपयुक्तनहीं है क्योंकि चालू वित्त वर्ष के लिए ऋण योजना काफी विस्तारित है और सरकारी प्रपत्र का प्रतिफल भी तय दायरे में रहने की आशा है। बजट में की गई घोषणा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में सरकार 12.05 करोड़ रुपये की राशि बाजार से ऋण के रूप में लेने वाली है।
सिंह ने केंद्र-राज्य संबंधों से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों की व्यावहारिक प्रासंगिकता कम होने की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस पर फिर से गौर करने की जरूरत है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने सहकारी संघवाद पर जोर देने के लिए केंद्र-राज्य परिषद या कुछ संशोधित निकायों को फिर से बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि इस तरह की परिषद को प्रभावी बनाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत काम करने की जरूरत है न कि गृह मंत्रालय के तहत।
बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र पर खर्च को फिर से प्राथमिकता देनी जरूरी है जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल 1.2 फीसदी है। बिजली क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के अंतिम लक्ष्य को पूरा नहीं किया गया है।
उन्होंने सुझाव देते हुए कहा, ‘बढ़ता बकाया, मसलन बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की समस्याएं राज्य वित्त के स्तर पर सुलझ नहीं पातीं। वहीं बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण भी बाधाकारी प्रक्रिया रही है। कई मामलों में बिजली खरीद समझौतों में बदलाव करने की मांग भी की गई है।’ उन्होंने सुझाव दिया, ‘सबसे पहले, हमें यथार्थवादी शुल्क दरें तय करने के लिए स्वतंत्र नियामकों की जरूरत है और उसके बाद बिजली की लागत वसूलने की जिम्मेदारी बिजली वितरण कंपनियों को दी जानी चाहिए।’
उन्होंने छोटे और काश्तकार किसानों को अपनी आय बढ़ाने में सक्षम बनाने, मांग आधारित उत्पादन को बढ़ावा देने, अधिक उत्पादन होने पर निर्यात को प्रोत्साहन देने और कृषि-खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कृषि सुधारों की भी सिफारिश की। दूरसंचार क्षेत्र की मुश्किलों को दूर करने के लिए सिंह ने विभिन्न हितधारकों को जोड़कर आम सहमति के दृष्टिकोण के साथ रणनीतिक हस्तक्षेप का भी पक्ष लिया।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के हस्तक्षेपों के बोझ को कम करने की बात कहना आसान है लेकिन उस पर अमल करना मुश्किल है, हालांकि निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने के लिए हाल ही में की गई सरकारी घोषणा इस मानसिकता में बदलाव को दर्शाती है।
उन्होंने सार्वजनिक व्यय का स्तर बढ़ाने, सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अन्य वस्तुओं का निर्माण करने के साथ ही प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए शिक्षा के अंतर को कम करने की सिफारिश भी की। सिंह ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का सुझाव देते हुए कहा कि स्वास्थ्य पर आपात खर्च में बढ़ोतरी होने पर लोग फिर से गरीबी की दलदल में फंस जाते हैं जिन्हें बड़ी मुश्किल से गरीबी के स्तर से बाहर निकाला गया था।
21वां बिज़नेस स्टैंडर्ड-सीमा नेज़रेथ अवॉर्ड मेघना चड्ढा को दिया गया और स्पेशल मेंशन अवॉर्ड नितिन कुमार को मिला।