भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) देश के स्वास्थ्य क्षेत्र का व्यापक ऑडिट करने की प्रक्रिया में है। इसके लिए वह अपने पहले के प्रयासों से अलग दृष्टिकोण अपना रहा है जो पहले अपेक्षाकृत संकीर्ण था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पहले हम शोध और राज्य विशिष्ट मुद्दों के आधार पर ऑडिट करते थे। इस बार इसे व्यापक रूप से कर रहे हैं और सामान्य मानकों, सामान्य उद्देश्यों और सामान्य जोखिम विश्लेषणों पर इसका (स्वास्थ्य क्षेत्र) ऑडिट करेंगे ताकि पूरे देश की तस्वीर का अनुमान लगाया जा सके।’
इससे पहले, राज्यस्तरीय महालेखा परीक्षक स्वास्थ्य प्रबंधन, खरीद या रिक्तियां जैसे विषय का चयन कर उसके विशेष पहलुओं का ऑडिट करते थे। उदाहरण के लिए, सीएजी की एक रिपोर्ट ने इस साल बताया था कि बिहार का स्वास्थ्य क्षेत्र पिछड़ा हुआ था क्योंकि वहां सुविधाओं और कर्मियों की कमी थी। सीएजी ने 2014-15 और 2019-20 की अवधि के लिए पांच जिलों- पटना, नालंदा (बिहारशरीफ), वैशाली (हाजीपुर), जहानाबाद और मधेपुरा में प्रदर्शन ऑडिट किया और उसमें पाया कि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के तहत जिला अस्पतालों में 52-92 फीसदी बिस्तर की कमी है। हालांकि ऑडिट एक बार में प्रकाशित नहीं किया जाएगा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘यह राज्यवार होगा। लेकिन बाद में, हम सामान्य मापदंडों का सेट संकलित कर सकते हैं और यह स्थापित कर सकते हैं कि इन मापदंडों पर कौन सा राज्य किस स्तर पर है। हम सरकारी नीतियों, उद्देश्यों और उनके प्रदर्शन के आधार पर ऑडिट करेंगे।’ साथ ही कहा कि इसमें कोविड की अवधि को भी जोड़ा जाएगा।
अधिकारी ने कहा, ‘इसमें पिछले पांच वर्ष की अवधि रहेगी। हम इसे ‘कोविड प्रबंधन’ जैसा विशेष शीर्षक नहीं दे सकते हैं।’उन्होंने कहा कि सीएजी राज्य की नीतियों पर टिप्पणी नहीं करेगा बल्कि उनके प्रदर्शन को देखेगा।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘मान लीजिए अगर एक विशेष राज्य की नीति कहती है कि उसके पास एक निश्चित संख्या में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए और यह आंकड़ा केवल उस राज्य द्वारा तय किया जाता है। इसके विपरीत, ऑडिट यह आकलन करेगा कि कितने सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र खुल गए हैं और उनका प्रदर्शन कैसा है।
व्यय में किसी प्रकार की गड़बड़ी का पता लगाया जाएगा। तब हम उन्हें (स्वास्थ्य केंद्र) विवेकपूर्ण नजरिये से देखेंगे।’उन्होंने कहा कि सीएजी केंद्रीय सतर्कता आयोग के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ इसके लिए परियोजना प्रबंधन से संबंधित दिशा-निर्देशों को भी देखेगा। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रम भी ऑडिट के दायरे में आएंगे। उन्होंने कहा, ‘हम देखेंगे कि केंद्र ने इन कार्यक्रमों के लिए कितनी राशि का आवंटन किया है और राज्य कैसे इन राशियों का उपयोग कर रहे हैं।’
