देश के सबसे बड़े चुनावी समर ने विज्ञापन कंपनियों को तो मंदी से निकाला ही है, कैब इंडस्ट्री वालों को भी करोड़ों का मुनाफा करवाकर बल्ले-बल्ले कर दी है।
विभिन्न ट्रैवल एजेंट्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि 7 लोकसभा सीटों वाली अकेली दिल्ली में ही 221 उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार में लगभग 5 हजार गाड़ियां लगी हुई है, जो प्रतिदिन लगभग 60 लाख रुपये का किराया वसूल रही है।
इनमें मारुति 800, ओमनी, डीसीएम, टोयोटा, मार्शल जैसी गाड़ियों की बुकिंग के लिए तो उम्मीदवारों के समर्थकों को हाथापाई भी करनी पड़ रही है। हालात ऐसे है कि प्रचार के लिए गाड़ी न मिलने के कारण उम्मीदवार डीजल, पेट्रोल, सीएनजी के साथ 700 से 1200 रुपये किराया भी प्रतिदिन देने में नहीं हिचक रहे हैं।
वहीं ट्रैवल एजेंट भी साधारण गाड़ियों का टोटा बता लग्जरी गाड़ियों को प्रचार के लिए उपलब्ध करवा मोटा किराया वसूल रहे हैं। दिल्ली के करोलबाग स्थित हिन्द ट्रैवल्स के मनोज शर्मा बताते हैं, ‘मेरी 40 गाड़ियां विभिन्न उम्मीदवारों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव प्रचार कर रही हैं। इसके लिए मुझे विभिन्न मॉडलों पर 700 से 1200 रुपये किराया प्रतिदिन का मिल रहा है। मेरे अनुमान से प्रत्येक उम्मीदवार 20 से 25 गाड़ियों को अपने चुनाव प्रचार में प्रयोग कर रहा है। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के उम्मीदवारों में तो यह संख्या और भी ज्यादा है।’
वहीं अक्षत ट्रैवल्स के टिंटू सिंह आहलूवालिया बताते है कि ‘कई उम्मीदवार हमारी गाड़ियों को कई दिनों के लिए किराये पर लेना चाहते थे। ऐसे में वे हमसे विशेष पैकेज की मांग कर रहे थे। इसलिए हमने दस गाड़ियां किराये पर लेने पर एक गाड़ी का किराया मुफ्त अथवा पांच गाड़ियां किराये में लेने पर 500 किलोमीटर तक का प्रचार मुफ्त में करने का प्रस्ताव भी कई उम्मीदवारों को दिया है।’
लेकिन संगठित तौर पर कैब सुविधा प्रदान करने वाली कंपनियां राजनैतिक समर से पल्ला झाड़ने में ही भलाई समझ रही है। ईजी कैब के सीईओ आर के विज बताते हैं, ‘कई राजनैतिक उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार के लिए हमसें गाड़ियों की मांग की थी। लेकिन बाजार में हमारे ब्रांडनेम की विश्वसनियता और इमेज को देखते हुए हमनें उन्हें ठुकरा दिया।’
