चुनावी बिगुल बजते ही झंडे, पोस्टर, बैनर, स्टीकर, टीशर्ट व टोपी जैसी सामग्री से पट जाने वाले सदर बाजार में इस बार कोई रौनक नहीं है।
इन सामग्रियों के कारोबार में पिछले लोक सभा चुनाव के मुकाबले 35-40 फीसदी की गिरावट है। वर्ष 2004 में संपन्न लोक सभा चुनाव के दौरान सिर्फ सदर बाजार से लगभग 300 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।
चुनाव सामग्री बेचने वाले कारोबारियों के मुताबिक बिहार से लेकर राजस्थान तक वे चुनाव सामग्री की आपूर्ति करते थे। लेकिन इस साल बिहार व उत्तर प्रदेश जैसी जगहों से निकलने वाली मांग में 50 फीसदी तक की गिरावट रही।
कारोबारियों ने बताया कि पहले सिर्फ दिल्ली में ही छपाई के लिए बड़ी-बड़ी मशीनें उपलब्ध होती थी, लेकिन अब यह सुविधा लखनऊ, वाराणासी, जयपुर जैसे शहरों में भी छपाई के सस्ते साधन उपलब्ध है।
उनका कहना है कि चुनाव सामग्री की कीमत में उन्होंने लागत में बढ़ोतरी के बावजूद पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले मामूली बढ़ोतरी की है। कारोबार में गिरावट के कारण पहले इन सामग्री के कारोबारियों की संख्या 120 से घटकर 80 हो गयी है।
मुंबई में चुनावी प्रचार सामग्री की सबसे बड़ी थोक मंडी लालबाग में चुनावी सामग्री बेचने वाले किशन चंद्र के अनुसार चुनावों की घोषणा होते ही हमारे पास राजनीतिक दलों के फोन और आर्डर आने शुरु हो जाते थे। भारी मांग को देखते हुए हर साल हम पहले से चुनावी सामग्री तैयार कर के रखते थे।
क्योंकि टिकट मिलने के बाद उम्मीदवार के हिसाब से बैनर पोस्टर और दूसरे पर्चे बनाने पड़ते थे जो इस बार काफी कम हुई है। किशन चन्द्र के अनुसार सिर्फ लालबाग से हर साल पूरे राज्य में कम से कम एक करोड़ रुपये की चुनाव सामग्री जाती थी जो इस बार मुश्किल से 30-35 लाख की भी बिक्री होने की उम्मीद नहीं है।
मुंबई में चुनावों के दौरान बैनर पोस्टर लगाना काफी महंगा पड़ता था, इनको बनवाने में लगने वाले खर्च के साथ साथ सड़क के किनारे लगाने के लिए बीएमसी की अनुमति लेनी पड़ती है जिसके लिए लगभग प्रति बैनर 300 रुपये के हिसाब से बीएमसी को देने पड़ते है। महानगर से पोस्टर और बैनर लगभग नदारद होने की वजह से बीएमसी की भी आय में कमी होना तय है।
