राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में सोमवार मध्यरात्रि से 30 नवंबर तक पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। यह प्रतिबंध उन शहरों या कस्बों पर भी लागू होगा, जहां हवा की गुणवत्ता हवा गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआआई) में खराब की श्रेणी से नीचे चली जाती है।
दिल्ली और उसके आसपास के इलाके में हवा की गुणवत्ता रोज खराब होती जा रही है, जिसे देखते हुए एनजीटी ने कहा कि एनसीआर में लगातार प्रदूषण की सीमा बढ़ रही है और ऐसे में पूरी तरह से प्रतिबंध जरूरी है।
पिछले सप्ताह दिल्ली सरकार ने राजधानी क्षेत्र में पटाखों पर प्रतिबंध लगा दिया था। उसके बाद हरियाणा ने पटाखे फोडऩे व इसकी बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया, उसके बाद इससे पीछे हटते हुए 2 घंटे के लिए पटाखों की अनुमति दी।
ओडिशा, राजस्थान, सिक्किम, केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़, और कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पहले ही संबंधित राज्यों व शहरों में पटाखों के इस्तेमाल और उसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बहरहाल एनजीटी के आदेश के प्रवर्तन और जुर्माने का मामला स्थानीय प्राधिकारियों के हाथ में छोड़ा गया है। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है, ‘सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक इस सिलसिले में उचित आदेश जारी कर सकते हैं और वे जिलाधिकारियों व पुसिल अधीक्षकों, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को इसके प्रवर्तन के दिशानिर्देश भेज सकते हैं।’
इस फैसले ने दिल्ली के पटाखा विक्रेताओं को ऊहापोह में डाल दिया है। ज्यादातर ने सरकार पर नीतिगत भ्रम बनाने का आरोप लगाया है। दिल्ली के सदर बाजार के सदर निष्कर्म वेलफेयर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पम्मी माकन ने कहा, ‘अगर सरकार को पटाखों पर प्रतिंबध लगाना था तो उन्होंने लाइसेंस क्यों दिए? बेहतर मुनाफा पाने के लिए सभी थोक कारोबारी 1-2 महीने पहले पटाखे खरीद लेते हैं। अब जब बिक्री का समय आया है तो बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया।’ सदर बाजार दिल्ली में पटाखों का सबसे बड़ा थोक बाजार है।
तमिलनाडु के शिवकाशी में पटाखों के निर्माताओं ने कहा कि एनसीआर और उत्तर भारत के कारोबारियों ने ऑर्डर कैंसिल करना शुरू कर दिया है और उन्होंने संदेश दिया है कि वे उत्पादों के दाम का भुगतान नहीं कर पाएंगे। शिवकाशी में करीब 90 प्रतिशत पटाखों का उत्पादन होता है।
तमिलनाडु फायरवक्र्स ऐंड एमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (टीएएनएफएएमए) के पूर्व अध्यक्ष टी असैथांबी ने कहा, ‘पिछले 2 साल से उद्योग हरित पटाखों के फेरे में फंसा हुआ है। कोविड-19 ने मौजूदा समस्या को और बढ़ा दिया है।’ उन्होंने कहा कि अगर पटाखोंं पर प्रतिबंध लगता है तो डीलरों से पैसे फंसेंगे। उन्होंने कहा, ‘इसकी वजह से हमारे कर्ज के पुनर्भुगतान और कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं के भुगतान पर असर पड़ेगा।’
तमिलनाडु फायरवक्र्स ऐंड एमोर्सेस मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के एक अधिकारी ने कहा कि एनजीटी के आदेश का असर कम से कम दो सत्रों पर पड़ेगा और तीसरे साल व उसके बाद स्थिति सामान्य हो पाएगी। उन्होंने कहा, ‘केवल पटाखा निर्माताओं पर ही नहीं बल्कि प्रिंटिंग, पेपर होर्ड, ट्रांसपोर्टेशन सहित इस क्षेत्र में लगे सभी लोगों पर इसका असर होगा और 10 लाख से ज्यादा नौकरियां प्रभावित होंगी।’
शिवकाशी में पटाखों का उत्पादन मूल्य करीब 2,500 करोड़ रुपये है और खुदरा बिक्री का मूल्य करीब 6000 करोड़ रुपये हो सकता है। चालू साल का उथ्पादन मूल्य 1,800 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
दिल्ली के कारोबारियों ने कहा कि दुकानदारों के पास माल आ गया है, ऐसे में पटाखों की कालाबाजारी स्वाभाविक है। सदर बाजार के एक कारोबारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘जब 2018 में दुकानें बंद की गई थीं तो ब्लैक मार्केट के माध्यम से ऑनलाइन पटाखे उपलब्ध थे। इस साल भी यह होगा। पुलिस केवल दुकानें बंद करा सकती है, इससे लोगों को पटाखे जलाने से कैसे रोका जा सकता है।’
एनजीटी ने उन शहरों में हरित पटाखे 2 घंटे तक जलाने की अनुमति दी है, जहां हवा की गुणवत्ता ठीक या थोड़ी खराब है।
