कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण बढ़े दावे अब कम हो रहे हैं, वहीं गैर कोविड दावे, खासकर गैर संक्रामक बीमारियों से संबंधित दावे बढ़ गए हैं। इसकी वजह से गैर जीवन बीमाकर्ताओं पर बोझ बढ़ा है। ज्यादा दावों की वजह से पिछले 18-20 महीनों के दौरान स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र का घाटे का अनुपात बढ़ा है।
डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के बीमा दावों ने इस साल बुरा असर डाला है। यह बीमारियां सामान्यतया मॉनसून से संबंधित समस्या हैं और हर साल होती हैं, लेकिन इस साल इस तरह की बीमारियों के दावे बढ़े हैं और पिछले वर्षों की तुलना में यह बहुत ज्यादा हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के दावे ठंड बढऩे के साथ घटेंगे और बीमाकर्ताओं को राहत मिलेगी। हालांकि उनका कहना है कि स्वास्थ्य बीमा के हिसाब से देखें तो बीमा कर्ताओं के लिए यह बुरा साल रहा है, और हानि अनुपात निश्चित रूप से चिंता बढ़ा रहा है।
आईसीआईसीआई लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस के अंडरराइटिंग ऐंट क्लेम के प्रमुख संजय दत्ता ने कहा, ‘पिछले साल संक्रामक बीमारियों के दावे बहुत कम थे, क्योंकि कोविड-19 के कारण ज्यादातर लोगों को घर के अंदर रहना पड़ा था। इस साल कोविड-19 घटा है और लोग सामान्य जीवन की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे संक्रामक बीमारियां बढ़ी हैं। कोविड के असर के पहले के साल में संक्रामक बीमारियां सामान्य थीं। दावे के हिसाब से देखें तो यह बीमकर्ताओं के लिए कठिन साल होगा और हानि अनुपात प्रभावित होगा।’
बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस के भास्कर नेरुरकर ने कहा, ‘बजाज अलियांज जनरल इंश्योरेंस में गैर कोविड दावे पिछले साल की तुलना में 68 प्रतिशत बढ़े हैं, क्योंकि पिछले साल लॉकडाउन था और इस साल ज्यादा चीजें खुली हुई हैं। पुणे, मुंबई, अहमदाबाद और नई दिल्ली जैसे देश के कुछ इलाकों से डेंगू के दावे अच्छी संख्या में आ रहे हैं। अन्य संक्रामक बीमारियों जैसे गैस्ट्रोइंटेरिटिस टायफायड और वायरल न्युमोनिया के मामले भी बढ़े हैं।’
