उपभोक्ताओं को अपना माल या सेवा बेचने वाले कारोबारों को कोविड-19 महामारी के दौरान खुद में बदलाव लाना पड़ा और सीधे ग्राहकों के घर तक पहुंचना पड़ा क्योंकि लोग खरीदारी के लिए बाहर निकलने से डर रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान स्विगी, जोमैटो, डूंजो, फ्लिपकार्ट और डोमिनोज जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों के साथ गठजोड़ तेजी से बढ़े। लेकिन अब कारोबार सामान्य हो रहा है, इसलिए इन पहलों में से बहुत सी कम हो गई हैं। इसका यह मतलब नहीं है कि सीधे उपभोक्ता तक पहुंचने (डी2सी) के कार्यक्रम पूरी तरह समाप्त हो गए हैं। रोजमर्रा के सामान (एफएमसीजी) का क्षेत्र भी ऑनलाइन माध्यमों पर ज्यादा ध्यान देने की रणनीति अपना रहा है।
एवेंडस कैपिटल की एक रिपोर्ट इस सप्ताह जारी हुई है। इसमें पाया गया है कि भारत का ऑनलाइन खुदरा बिक्री (ई-टेल) बाजार अगले पांच साल में 200 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा, जो इस समय 40 अरब डॉलर का है।
एवेंडस कैपिटल में कार्यकारी निदेशक (डिजिटल एवं तकनीक निवेश बैंकिंग) नीरज श्रीमाली ने कहा कि इस बाजार में अगले पांच वर्षों के दौरान पांच गुना बढ़ोतरी होगी, जिसमें ऑनलाइन खरीदारों की संख्या बढऩे की अहम भूमिका रहेगी। इन खरीदारों में से बहुत से सहूलियत, अलग उत्पाद और सुरक्षित एवं आसान खरीद का माहौल चाहते हैं। श्रीमाली कहते हैं, ‘ई-टेल धीरे-धीरे बढ़कर भारत का संगठित खुदरा क्षेत्र बन जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘जो ब्रांड डिजिटल को सबसे अधिक तरजीह देते हैं, उन्हें बढ़त मिलेगी।’ इस बात से खुदरा और एफएमसीजी कंपनियां सहमत हैं। लेकिन उनका यह भी कहना है कि दुकान जाकर खरीदारी करने का चलन पूरी तरह खत्म नहीं होगा। उदाहरण के लिए जूते-चप्पलों की खुदरा विक्रेता बाटा लगातार सीधे ग्राहकों से संपर्क साध रही है। कंपनी की इस मुहिम का एक हिस्सा हाउसिंग सोसाइटीज और पड़ोसी क्षेत्रों में मोबाइल स्टोर भेजना भी शामिल है। कंपनी ने अपनी दुकानें भी खोली हैं। बाटा इंडिया के सीईओ संदीप कटारिया ने कहा, ‘मोबाइल स्टोर का कार्यक्रम अब भी 35 से 40 शहरों में चल रहा है।’
इसके अलाव बाटा का व्हाट्सऐप प्रोग्राम है, जिसमें ग्राहक अपने लिए जूते चुनकर ऑर्डर दे सकते हैं। इसके बाद ये उनके घर पहुंचाए जाते हैं। कटारिया कहते हैं कि यह पहल वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और गृहिणियों को पसंद आई है।
टाइटन की आभूषण इकाई तनिष्क ने वीडियो परामर्श, अपॉइंटमेंट आधारित बिक्री, वर्चुअल पहनकर देखने, डिजिटल कैटलॉग और होम डिलिवरी जैसे बहुत से वर्चुअल फीचर्स शुरू किए हैं। टाइटन की आभूषण इकाई के सीईओ अजय चावला ने कहा, ‘शादी के आभूषणों की 10 लाख रुपये तक की खरीद के लिए हमारी वीडियो कॉल चार घंटे तक भी चली हैं।’ उन्होंने कहा कि ये पहल कम से कम एक साल और जारी रहेंगी।
हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक संजीव मेहता ने कहा कि कंपनी की ई-कॉमर्स माध्यमों पर बिक्री पिछले साल के मुकाबले बढ़कर दोगुनी (करीब 6 फीसदी) हो गई है। नील्सन के हाल के एक सर्वेक्षण क मुताबिक एफएमसीजी कंपनियों का आसान एवं सहूलियत भरी डिलिवरी पर आगे भी जोर बना रहेगा। एवेंडस कैपिटल की सहायक उपाध्यक्ष सिमरनजीत कौर ने कहा कि कंपनियों को वितरण गठजोड़ से भी आगे बढऩा होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें परंपरागत बाजार से अलग ऑनलाइन बाजार के लिए अलग उत्पाद एवं कीमत रणनीति रखनी होगी। ज्यादातर एफएमसीजी कंपनियों ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान डिजिटल फस्र्ट या केवल डिजिटल बाजार के लिए ब्रांड उतारे हैं। ये आने वाले महीनों में अपनी पेशकश और बढ़ा सकती हैं।
कौर कहती हैं कि लेंसकार्ट (चश्मे), लिसियस (मांस स्टार्टअप), ममाअर्थ (त्वचा सुरक्षा) और बोट (ऑडियो वियर) अपनी शुरुआत के दो-तीन साल के भीतर ही अच्छी खासी मूल्यवान बन गई हैं। इसके नतीजतन उनमें पैसा लगाने वाले निवेशक बढ़ रहे हैं। एवेंडस का अनुमान है कि सीधे ग्राहकों तक पहुंचने वाले ब्रांडों का बाजार अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर पर पहुंच जाएगा।
