राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध श्रम संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने 10 केंद्रीय श्रम संगठनों के उस आग्रह को ठुकरा दिया है, जिसमें उससे 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने के लिए कहा गया था। बीएमएस ने इस हड़ताल को राजनीति प्रेरित करार दिया है।
बीएमएस के महासचिव विनय कुमार सिन्हा ने 23 नवंबर के एक पत्र में कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि सरकार के कुछ कदम हमारी मांगों के मुताबिक नहींं हैं। लेकिन सरकार को राष्ट्र विरोधी बताना हास्यास्पद और अतार्किक लगता है। आपके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर और ब्योरों एवं चर्चा की जरूरत है।’
यह एक अहम घटनाक्रम है क्योंकि बीएमएस के वर्ष 2015 में अन्य श्रम संगठनों से अलग राह पकडऩे के बाद पहली बार श्रम संगठनों के बीच मतभेदों को पाटने के लिए पहल की गई है।
कांग्रेस से संबद्ध इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियून कांग्रेस के अध्यक्ष जी संजीव रेड्डी ने 17 नवंबर को बीएमएस को 10 केंद्रीय श्रम संगठनों की तरफ से पत्र लिखा था, जिसमें उससे 26 नवंबर को हड़ताल में शामिल होने का आग्रह किया गया था। नए श्रम एवं कृषि कानूनों जैसे मुद्दों को लेकर इस हड़ताल का आह्वान किया गया है। पिछले पांच वर्षों में यह दुर्लभ मामला है कि पत्र में बीएमएस की विभिन्न आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रशंसा की गई।
सिन्हा ने रेड्डी को भेजे पत्र में कहा, ‘श्रमिकों के हित मेंं बीएमएस की भूमिका को पहचानने के लिए हम आपको धन्यवाद देते हैं। हम कहना चाहेंगे कि बीएमएस का यह मानना है कि एक श्रम संगठन के रूप में हमें खुद को कामगारों के हितों तक सीमित रखना चाहिए। यह हमारी मुख्य जिम्मेदारी है। हमें सामान्य समाज में किसानों के मुद्दों और छात्रों के विरोध प्रदर्शनों जैसे बड़े मुद्दों में शामिल नहीं होना चाहिए।’ बीएमएस ने कहा कि कामगारों के लिए प्रमुख चुनौती यह है कि राज्यों में सरकार विभिन्न राजनीतिक दलों की हैं, जिनके श्रम कानूनों में बदलाव केंद्र सरकार से भी नुकसानदेह हैं।
