सरकार ने आज लोकसभा में जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 में संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किया है, जिससे सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों का निजीकरण किया जा सके।
जनरल इंश्योरेंस बिजनेस (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक, 2021 से सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों में निजी हिस्सेदारी की अनुमति मिल सकेगी, जिनमें सरकार अपनी शेयरधारिता घटाकर 51 प्रतिशत से नीचे करना चाहती है और संभावित खरीदार को इनके प्रबंधन का नियंत्रण सौंपना चाहती है। सरकार ने उस धारा को खत्म करने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत सरकार को नैशनल इंश्योरेंस कंपनी, न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन आफ इंडिया और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी में कम से कम 51 प्रतिशत शेयर हमेशा रखना जरूरी है।
इस विधेयक के मकसद और इसकी वजहों में कहा गया है कि इसका उद्देश्य बीमा की पहुंच बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा देना, पॉलिसीधारकों के हितों की बेहतर तरीके से रक्षा और अर्थव्यवस्था की तेज वृद्धि में अंशदान करना है।
इस विधेयक में एक नया खंड शामिल किया गया है, जिसके तहत केंद्र सरकार की ओर से बीमाकर्ता पर नियंत्रण छोडने की तारीख से अधिनियम की प्रयोज्यता समाप्त करने की बात कही गई है।
मौजूदा कानून के तहत एक बीमाकर्ता पर ‘नियंत्रण’ का मतलब है कि केंद्र सरकार को अपनी ओर से बहुसंख्य निदेशकों को नियुक्त करने और प्रबंधन संबंधी या नीतिगत फैसले करने का अधिकार है, जो शेयरधारिता के अधिकार या प्रबंधन के अधिकार के साथ जुड़े हैं। इसमें बदलाव का तात्पर्य है कि यह शक्तियां अब निजी बीमा कंपनी के बोर्ड के पास होंगी।
सरकार निजीकरण के लिए बीमा कंपनी के चयन की कवायद में लगी है, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में की थी।
वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वित्त मंत्री और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री व अन्य मिलकर निजीकरण के लिए उचित कंपनी का चयन करेंगे और इस प्रस्ताव को कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) के पास भेजेंगे। नीति आयोग ने यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी को निजीकरण के संभावित अभ्यर्थी में से एक के रूप में सुझाव दिया है।
यूरोप की अर्थव्यवस्था दो प्रतिशत बढ़ी, दोहरी मंदी से बाहर
यूरोप की अर्थव्यवस्था में दूसरी तिमाही में सुधार देखा गया, लेकिन कोविड-19 से पहले के स्तर पर नहीं पहुंच सकी है। ताजा आंकड़ों के अनुसार यूरोपीय अर्थव्यस्था की गति अभी अमेरिका तथा चीन की तुलना में कम है। यूरोपीय संघ की सांख्यिकी एजेंसी यूरोस्टेट के शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यूरोप की अर्थव्यवस्था अपनी पिछली तिमाही की तुलना में अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 2 प्रतिशत बढ़ी। भाषा