वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ड्रोन स्टार्टअप की सहायता करने को इच्छुक है, क्योंकि इसका इस्तेमाल दवाओं की डिलिवरी, आपदा प्रबंधन के दौरान आपूर्ति, परियोजनाओं की निगरानी जैसे अहम कामों में व्यापक रूप से हो सकता है।
ड्रोन के क्षेत्र में भारत में करीब 130 स्टार्टअप काम कर रहे हैं। पुरी ने स्टार्टअप इंडिया इंटरनैशनल सम्मेलन में कहा कि यह एक और क्षेत्र है, जहां सरकार स्टार्टअप को समर्थन करने को इच्छुक है क्योंकि ड्रोन का इस्तेमाल न सिर्फ निगरानी में किया जाता है, बल्कि आपदा प्रबंधन के दौरान आपूर्ति में, दवाओं की डिलिवरी में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को रियल टाइम के आधार पर निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है और इससे गतिविधियों की तत्काल सूचनाएं मिल जाती हैं। पुरी ने कहा, ‘हमें विश्वास है कि ड्रोन और इस तकनीक में के क्षेत्र में हम जो प्रगति कर रहे हैं, उससे भारत की न सिर्फ क्षेत्रीय पहचान बनेगी, बल्कि वह अगुआ बनकर उभरेगा।’
पुरी ने कहा कि ड्रोन और तकनीक के मामले में भारत के स्टार्टअप यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका कामकाज बगैर किसी सुरक्षा की चिंता के हो। भारत उन कुछ देशों में शामिल है, जिसने ड्रोन के लिए नियमन पेश किया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 2018 में नागरिक उड्डयन जरूरतें बताई थीं, जिसके मुताबिक ड्रोन का परिचालन सिर्फ दिन में हो सकता है और दूर से चालिय एयरक्राफ्ट के लिए यूनीक आइडेंटीफिकेशन नंबर की जरूरत होगी और ऑपरेटरों को मानव रहित एयरक्राफ्ट ऑपरेटर परमिट लेना अनिवार्य होगा।
उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव गुरुप्रसाद महापात्र ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि स्टार्टअप की उन्नति सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। भारत में 590 जिलों में डीपीआईआईटी में 41,000 स्टार्टअप पंजीकृत हैं। महापात्र ने कहा कि भारत में करीब 30 यूनीकॉर्न हैं, जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर से ऊपर है, जिसमें 9 स्टार्टअप 2020 में शामिल हुए हैं।
