केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को विभिन्न किसान संगठनों के 10 घंटे के भारत बंद के कारण देश के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन प्रभावित रहा। विभिन्न ट्रेनों के रद्द होने और राजमार्ग व प्रमुख सड़कों के बंद होने से हजारों यात्री फंसे रहे। सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक के भारत बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शन हुए जो अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए। इनमें किसी के घायल होने या गंभीर झड़पों की कोई खबर नहीं आई।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आसपास इसका सबसे अधिक असर दिखा, जो कृषि कानून के विरोध के केंद्र रहे हैं। इसके अलावा केरल, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बड़े इलाकों में भी इसका असर दिखा। भारत बंद का मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नहीं दिखा और जन-जीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं। मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं। 40 किसान संघों के संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा बुलाए गए बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और मुख्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और सुबह से ही कई स्थानों पर रेलवे के पटरियों पर बैठ गए। नाकाबंदी शाम चार बजे खत्म हो गई।
किसानों का सत्याग्रह
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह अखंड है। राहुल ने ट्वीट किया, ‘किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को ये नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है।’ कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को भारत बंद में हिस्सा लेने को कहा है। कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है। कई गैर-राजग दलों ने बंद को समर्थन दिया। इनमें कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगू देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल थे।
हालांकि भारत का बड़ा हिस्सा बंद से अछूते रहे। उत्तर भारत में लगभग 25 ट्रेनें प्रभावित रहीं। इसके अलावा यात्री वाहनों के साथ-साथ आवश्यक सामान ले जाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी बाधित रही।
दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गुडग़ांव, गाजियाबाद और नोएडा विशेष रूप से प्रभावित रहे, जिनमें हर दिन हजारों लोग आवाजाही करते हैं। दिल्ली के अधिकांश: इलाकों में इसका कोई असर नहीं दिखा लेकिन इसकी सीमाओं पर ट्रैफिक जाम के कारण लोगों को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लोगों को दफ्तर, कॉलेज और डॉक्टर के पास जाने में देरी हुईं। सड़कों पर वाहनों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं। किसानों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित राष्ट्रीय राजधानी में जाने वाली अन्य सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा हरियाणा के सोनीपत में कुछ दूर, कुछ किसान रेल पटरियों पर बैठ गए।
पंजाब में असर
पंजाब के पटियाला में भी, बीकेयू-उग्राहन के सदस्य अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केंद्र सरकार से तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं। हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय से लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए। मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं।’ पड़ोसी राज्य हरियाणा में, सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्ग अवरुद्ध कर दिए गए। दोनों राज्यों में कुछ स्थानों पर किसानों के रेल पटरियों पर बैठने की भी खबरें हैं। उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर डिवीजनों में 20 से अधिक स्थानों को अवरुद्ध किया जा रहा है। इससे करीब 25 ट्रेनें प्रभावित हुई हैं।’ किसान नेता योगेंद्र यादव ने एक टीवी चैनल को बताया कि बंद ‘असाधारण रूप से सफल’ रहा। उन्होंने इसपर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि कई राज्यों में किसान संगठन सड़कों पर हैं। उन्होंने प्रभावित लोगों से माफी भी मांगी। राजस्थान में, किसानों के भारत बंद का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडियां तथा बाजार बंद रहे। किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्का जाम किया और सभाएं की।
समाधान बातचीत से ही निकलेगा: राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध का समाधान बातचीत से ही हो सकता है, अदालतों में नहीं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता टिकैत गैर राजनीतिक मंच भारतीय छात्र संसद, पुणे द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन चर्चा के दौरान बोल रहे थे।