‘आने वाली पीढ़ियां शायद ही इस बात का यकीन कर पाएं कि कभी धरती पर गांधी जैसा कोई शख्स भी पैदा हुआ था।’ – अलबर्ट आइंस्टीन, गांधी की मृत्यु पर
आज से 60 साल पहले ही दुनिया यह बात जान गई थी कि आने वाली पीढ़ियों को गांधी के बारे में, उनके विचारों के बारे में बताना कितना जरूरी है। इसीलिए दुनिया के लगभग सभी देशों ने गांधी जी को सम्मान दिया। यह जानकर कोई आश्चर्य नहीं होगा कि डाक टिकटों की दुनिया में गांधी सबसे ज्यादा दिखने वाले भारतीय हैं।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि गांधी जी को सम्मान देने के लिए इन टिकटों को जारी करने वालों ने सोचा भी नहीं होगा कि आने वाले समय में इन डाक टिकटों की बिक्री भी एक कारोबार का रूप ले लेगी। ईबेडॉट कॉम जैसी वेबसाइटों पर यह टिकट इनकी असल कीमत से कई गुना ज्यादा कीमत पर बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। इन्हें खरीदने वालों की भी कोई कमी नहीं है। भारत के अलावा एंटिगुआ से लेकर जांबिया तक लगभग 80 देशों ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर करीब 250 डाक टिकट जारी किए हैं।
गांधी पर डाक टिकट जारी करने वाले देशों में अमेरिका का नंबर सबसे पहले आता है। अमेरिका ने 26 जनवरी 1961 को महात्मा गांधी पर डाक टिकट जारी किए थे। अमेरिका ने यह टिकट चैंपियंस ऑफ लिबर्टी सीरीज के तहत जारी किए थे। लेकिन साल 1969 गांधी जी क ी जन्मशताब्दी के अवसर पर ब्रिटेन समेत लगभग 40 देशों ने उनपर डाक टिकट जारी किए। ब्रिटेन सरकार द्वारा गांधी जी को यह सम्मान देने पर वहां के संसद में काफी हो हल्ला भी हुआ था। ब्रिटेन के कुछ सांसदों को सरकार का यह फैसला जरा भी अच्छा नहीं लगा था।
उन्होंने कहा कि जिस आदमी के कारण भारत में ब्रिटेन साम्राज्य का अंत हुआ उसे सम्मान देने का क्या मतलब है? लेकिन इन सबके बाद भी भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक बिमन मलिक ने गांधी जी पर डाक टिकट डिजाइन किया, जिसे ब्रिटिश सरकार ने जारी किया था। साल 1972 में कोलकाता में गांधी जी पर जारी किए गए डाक टिकटों की एक प्रदर्शनी में इसी टिकट को सबसे बेहतरीन टिकट का पुरस्कार मिला था।
साल 1978 में गांधी जी की 30वीं पुण्य तिथि के अवसर पर माली ने डाक टिकट जारी किया। इसके 10 साल बाद 1988 में श्रीलंका ने भी गांधी जी पर डाक टिकट जारी किया। कई देशों ने उनकी 50वीं पुण्यतिथि पर भी डाक टिकट जारी किए। 20 जुलाई 1997 को शिकागो सरकार ने एक पोस्टमार्क भी जारी किया। यह तीसरा मौका था जब गांधी जी के नाम पर अमेरिका में पोस्टमार्क जारी किया गया। साल 1972 में ब्राजील और 1978, 1986 में जर्मनी ने भी गांधी जी पर डाक टिकट जारी किए थे।
भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर गांधी फिर से डाक टिकटों पर छा गए। इस मौके पर तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला, भूटान और क्यूबा ने भारत को सम्मानित करने के लिए गांधी जी पर डाक टिकट जारी किए। बहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत को गुलामी के शिकंजे में कसने वाले ब्रिटेन ने जब पहली दफा किसी महापुरूष पर डाकटिकट निकाला तो वह महात्मा गांधी ही थे। इससे पहले ब्रिटेन में डाकटिकट पर केवल राजा या रानी के ही चित्र छापे जाते थे। गांधी जी पर डाक टिकट जारी करने का फैसला सबसे पहले साल 1948 में लिया गया। साल 1948 में गांधी जी क ी 80वीं वर्षगांठ पर इस डाक टिकट को जारी करने का फैसला लिया। लेकिन उससे पहले गांधी जी की हत्या कर दी गई। तब इन टिकटों को गांधी जी को सम्मान देने के लिए जारी किया गया। इस पूरे घटनाक्रम में दिलचस्प बात यह थी कि जिंदगी भर ‘स्वदेशी’ को तवज्जो देने वाले गांधी जी क ो सम्मानित करने के लिए जारी किए गए इन डाक टिकटों की छपाई स्विट्जरलैंड में हुई थी। इसके बाद से लेकर आज तक किसी भी भारतीय डाक टिकट की छपाई विदेश में नहीं हुई।