यूबी समूह के मुखिया और राज्यसभा सदस्य विजय माल्या ने एक बार फिर देश की लाज बचा ली।
लंदन में नीलाम हो रही टीपू सुल्तान की तलवार लौटा लाए माल्या ने महात्मा गांधी का निजी सामान भी किसी विदेशी के हाथ में नहीं जाने दिया।
माल्या ने गांधी जी का चश्मा, घड़ी, चप्पल, थाली और कटोरा 18 लाख डॉलर यानी करीब 9 करोड़ रुपये खर्च कर हासिल कर लिया। जेम्स ऑटिस नाम का एक शख्स बापू के इस सामान को नीलाम करने का ऐलान कर चुका था।
नीलामी रुकवाने की भारत सरकार की तमाम कोशिशें जब नाकाम हो गईं और ऑटिस ने अटपटी शर्तें रख दीं, तो एकबारगी लगा कि बापू की धरोहर भारत नहीं लौट पाएगी और किसी विदेशी रईस के घर की शोभा बढ़ाएगी। लेकिन माल्या आड़े आ गए और मंदी में भी बापू की धरोहर बचाने के लिए उन्होंने करोड़ों रुपये खर्च कर डाले।
हालांकि सरकार ने अचानक दावा करना शुरू कर दिया कि माल्या ने उन्हीं के सहयोग से यह सामान हासिल किया है। संस्कृति मंत्री अंबिका सोनी ने दिन में कहा कि इस बोली के पीछे उसका ही हाथ था। लेकिन माल्या ने इससे साफ इनकार कर दिया।
उन्होंने फ्रांस से सीएनएन आईबीएन चैनल से बातचीत में कहा कि सरकार ने उनसे किसी तरह का संपर्क नहीं किया था। उन्होंने यह संकेत जरूर दिया कि यह सामान वह सरकार को सौंप देंगे।
न्यूयॉर्क के बेहद भीड़ वाले इलाके मैनहट्टन के मैडिसन एवेन्यू का कमरा नंबर 595 बापू से जुड़ी कुछ निजी वस्तुओं की नीलामी के लिए चुना गया। दुनिया के अलग-अलग देशों से कुल मिलाकर 60 लोगों ने बोली लगाने के लिए अपना पंजीकरण कराया।
मशहूर कारोबारी संत सिंह चटवाल समेत कई भारतीय और भारतीय मूल के लोग भी बापू की धरोहर को पाने के लिए तैयार थे। लेकिन सबसे बड़ा दांव माल्या की ओर से उनके प्रतिनिधि टोनी बेदी ने ही खेला।
बापू की घड़ी, चश्मा, चप्पल और खाने के बर्तन हासिल कर लिए माल्या ने
सामान पाने के लिए माल्या ने लगाई करीब 9 करोड़ रुपये की भारी भरकम बोली
सरकार ने किया अपना हाथ होने का दावा, लेकिन माल्या ने साफ नकारा
माल्या पहले भी ला चुके हैं टीपू सुल्तान की तलवार
