ऋणमाफी योजना को सरकार किसानों के हित में कदम बता अपनी पीठ थपथपा रही है।
लेकिन हकीकत इससे कोसों दूर है। खासकर, उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के किसानों की स्थिति देखकर तो ऐसा कहा ही जा सकता है। दरअसल, कर्जमाफी के लिए बने मानदंड और लालफीताशाही से जरूरतमंद किसानों को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है।
बुंदेलखंड इलाके के कालपी में रहने वाले किसान मुन्नीलाल बाल्मीकि इसके भुक्तभोगी हैं। उन्होंने बैंक से कर्ज लिया था, लेकिन वे किस्त नहीं चुका पा रहे थे। हालांकि वे सरकार की कर्जमाफी योजना के दायरे में आते हैं, लेकिन प्रशासन ने उन्हें लाभान्वितों की सूची में शामिल नहीं किया।
यही नहीं, कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में उन्हें जेल भेजने का खौफ भी दिखाया गया। इससे मजबूरी में उन्हें स्थानीय महाजनों से कर्ज लेकर किस्त चुकाने को विवश होना पड़ा। ऐसा केवल मुन्नीलाल के साथ ही नहीं हुआ है, बल्कि राज्य में ऐसे हजारों किसान हैं, जो प्रशासनिक लापरवाही का दंश झेल रहे हैं।
बैंक अधिकारियों का कहना है कि मुन्नीलाल कर्ज चुका पाने में समर्थ हैं, लेकिन उन्होंने जान-बूझकर कर्ज नहीं चुकाया। जालौन के त्रिवेणी रूरल डेवलपमेंट बैंक के मैनेजर बी.एल. वर्मा ने बताया कि हम लोगों से कहा गया है कि अगर किसान एक भी किस्त चुका पाने में समर्थ हैं, तो कर्ज की वसूली सख्ती से की जाए।
ऋणमाफी की सूची में किन-किन किसानों को शामिल किया गया है, इसके बारे में स्थानीय बैंक अधिकारी लोगों को जानकारी तक नहीं दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि स्थानीय बैंक अधिकारियों की महाजनों से सांठ-गांठ है। यही वजह है कि वे किसानों पर कर्ज का भुगतान करने का दबाव डाल रहे हैं और किसानों को मजबूरी में महाजनों से कर्ज लेना पड़ रहा है।
बुंदेलखंड के ज्यादातर किसानों को कर्जमाफी का नहीं मिल रहा लाभ
कर्ज का भुगतान करने के लिए बैंक बना रहे हैं दबाव
मजबूरी में किसानों को महाजनों से लेना पड़ रहा है कर्ज