मंत्रिमंडल ने आज प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा निधि (पीएमएसएसएन) को मंजूरी दे दी, जो स्वास्थ्य के लिए समाप्त (लैप्स) नहीं होने वाली वाली एकल निधि है। स्वास्थ्य एवं शिक्षा उपकर का स्वास्थ्य वाला हिस्सा इस कोष में डाला जोगा और इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं में होगा।
अपने बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयुष्मान भारत योजना की घोषणा करते हुए मौजूदा 3 शिक्षा उपकर की जगह 4 प्रतिशत स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर लगो की घोषणा की थी।
इस कोष का रखरखाव व देखरेख का काम स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय करेगा। अगर भविष्य में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के तहत कोई योजना लाई जाती है तो उसे भी इस कोष में शामिल किया जाएगा।
स्वास्थ्य सुरक्षा निधि का इस्तेमाल हेल्थ इमरजेंसी के दौरान आपदा की तैयारियों और उस पर प्रतिक्रिया देने में भी किया जा सकेगा। सरकार को उम्मीद है कि इस कोष से बढ़ी हुई सार्वभौमिक और सस्ती स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता इस चिह्नित किए गए संसाधन के माध्यम से मिल सकेगी। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि इस राशि की अवधि वित्त वर्ष के अंत तक खत्म नहीं होगी और आगे भी इसका इस्तेमाल उसी मद में हो सकेगा।
सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि स्वास्थ्य की स्थिति स्वास्थ्य पर किए गए सार्वजनिक व्यय पर उल्लेखनीय रूप से निर्भर है। इसमें कहा गया है, ‘अगर जीवन प्रत्याशा एक साल और बढ़ती है तो इससे प्रति व्यक्ति आमदनी में 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है। साथ ही स्वाथ्य में निवेश से लाखों रोजगार खासकर महिलाओं के लिए रोजगार का सृजन होता है और स्वास्थ्य कार्यबल में बहुप्रतीक्षित विस्तार की जरूरत है।’ यह भी कहा गया है कि आर्थिक हिसाब से बेहतर स्वास्थ्य से उत्पादकता में सुधार होता है और समय से पहले होने वाली मृत्यु से होने वाले नुकसान, लंबी विकलांगता और पहले सेवानिवृत्ति से बचा जा सकता है।
2021-22 के बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘इस बजट मेंं स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे में खर्च उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया गया है। हम इस दिशा में और ज्यादा खर्च के लिए प्रतिबद्ध हैं।’ बजट में स्वास्थ्य पर आवंटन दोगुना होकर 2,23,846 करोड़ रुपये हो गया है, जिसमें से बड़ा हिस्सा 35,000 करोड़ रुपये कोविड टीकाकरण पर खर्च होगा।
सरकार ने स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा पर 2025 तक व्यय बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।
