दहशत का जो खौफनाक खेल मुंबई में खेला गया उससे शहर का अचल संपत्ति बाजार बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है।
इस हमले ने एक तरह से आग में घी का काम किया है। उद्योग जगत के जानकारों का मानना है कि वैश्विक मंदी की वजह से पहले ही संपत्ति की खरीद बिक्री की दर सुस्त पड़ी थी और अब ऊपर से आर्थिक राजधानी में इस दहशत फैलाने वाले हमले ने क्षेत्र की उम्मीदों पर और पानी फेर दिया है।
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष प्रणय वकील ने बताया, ‘इस हमले का पूरे मुंबई शहर पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’ एक तो वैश्विक मंदी की वजह से जहां एक ओर दुनिया भर के शेयर बाजार औंधे मुंह गिरे, वहीं बाजार में नकदी की किल्लत पैदा हो गई। साथ ही निवेशकों ने बड़े पैमाने पर पैसा खोया है।
अब ऐसे हालात में संपत्ति के खरीदार तो कम होने ही थे सो जाहिर है कि बिल्डरों में भी निराशा होगी। इसके पहले केंद्रीय बैंक ने मंहगाई पर लगाम लगाने के लिए बेंचमार्क ब्याज दरों को बढ़ाया था जिसे लोगों के लिए कर्ज लेना मुश्किल हो गया और मकानों के खरीदार नहीं मिल रहे थे।
अब यह हमला उस दौरान आया है जब पहले से ही देश विकास दर को लेकर फिक्रमंदी की दौर से गुजर रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में घटकर 7 फीसदी रह सकती है जो कि पिछले पांच सालों में औसतन 8 फीसदी के करीब रही है।
संपत्ति की खरीद-बिक्री में भारत के सॉफ्टवेयर क्षेत्र का योगदान रहा है, पर अमेरिका और यूरोप में छाई आर्थिक मंदी की वजह से रियल एस्टेट कारोबारियों को विस्तार के बजाय बोरिया बिस्तर समेटना पड़ सकता है।
अंशुमन रिचर्ड मैगजीन के अध्यक्ष सीबी रिचर्ड एलिस ने कहा कि ये हमले, ‘आग में घी का काम करेंगे और इससे लंबे समय तक कारोबार प्रभावित रह सकता है।’
वहीं वकील ने बताया कि मुंबई में संपत्ति को लेनदेन जो पहले हुआ करता था, फिलहाल घटकर 10वां हिस्सा रह गया है।
उन्होंने बताया कि पहले अगर कोई बिल्डर एक महीने में 40 फ्लैट बेचा करता था तो अब वह केवल 4 फ्लैट ही बेच पा रहा है। कुछ ऐसा ही हाल दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र समेज बेंगलुरू, गुजरात और चेन्नई का भी है।
देश का आर्थिक विकास सुस्त पड़ने और वैश्विक मंदी के बीच कर्मचारियों की छंटनी की वजह से इन शहरों में संपत्ति की खरीदफरोख्त घट गई है।
वकील ने कहा, ‘मकान के खरीदारों को स्थिरता चाहिए होती है और अगर वे अनिश्चितता देखते हैं तो खरीद का इरादा टाल देते हैं।’
दूसरे शहरों से आए कई लोग जो पहले यहां मकान खरीदने का मन बना चुके थे अब वे अपने फैसले पर फिर से विचार कर रहे हैं। मुंबई की आबादी 1.9 करोड़ है और इसमें 40 फीसदी लोग दूसरे शहरों के हैं।
इस आतंकवादी हमले के बाद बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जाने वाला लेनदेन सबसे अधिक प्रभावित होगा। जोन लांग लासाले मेघराज के अध्यक्ष और कंट्री हेड अनुज पुरी ने बताया, ‘कुछ समय के लिए आर्थिक राजधानी का दूसरे देशों के साथ होने वाला कारोबार तो निश्चित तौर पर प्रभावित होगा।’
विशेषज्ञों का मानना है कि इन हालात के बीच न सिर्फ रिहायशी मकानों की खरीदारी पर असर पड़ेगा बल्कि जमीनों की खरीद फरोख्त भी प्रभावित होगी।