अमेरिका ने भारत में विवादास्पद कृषि कानूनों का गुरुवार को समर्थन किया और कहा कि निजी क्षेत्र का कृषि में आना उदारवादी कदम है। लेकिन उसने कहा कि इंटरनेट की सुविधा लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए जरूरी है।
शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को एक सफल लोकतंत्र की पहचान बताते हुए अमेरिका ने कहा कि वह उन प्रयासों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की दक्षता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र निवेश के लिए आकर्षित होगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है जिससे भारत के बाजारों की दक्षता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां निवेश के लिए आकर्षित होंगी।’ प्रवक्ता ने यह संकेत दिया कि बाइडन प्रशासन कृषि क्षेत्र में सुधार के भारत सरकार के कदम का समर्थन करता है जिससे निजी निवेश आकर्षित होगा और किसानों की बड़े बाजारों तक पहुंच बनेगी।
भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका वार्ता के जरिये दोनों पक्षों के बीच मतभेदों के समाधान को बढ़ावा देता है। प्रवक्ता ने कहा, ‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की पहचान है और भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है।’
विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने भारत में किसान आंदोलन पर अमेरिका की प्रतिक्रिया पर कहा कि टिप्पणियां जिस संदर्भ में की गई हैं, उन्हें उस संदर्भ में देखना जरूरी है और अमेरिकी विदेश विभाग ने कृषि सुधारों की दिशा में भारत द्वारा उठाए गए कदमों को सराहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘किसी भी प्रदर्शन को भारत की राजनीतिक व्यवस्था और गतिरोध खत्म करने के लिए सरकार एवं संबद्ध किसानों के संगठनों के जारी प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। मगर गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को हिंसा की घटनाएं, लाल किले में तोडफ़ोड़ ने भारत में उसी तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं पैदा की जैसा कि अमेरिका में कैपिटल हिल घटना के बाद देखने को मिला था।’ भारत के विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि भारत की संसद ने एक सुधारवादी कानून पारित किया है जिस पर किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानून पर रोक भी लगाई गई है।
किसानों को समर्थन
कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है। सांसद हेली स्टीवेंस ने कहा, ‘भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित हूं।’ एक बयान में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों को सकारात्मक बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया। अन्य सांसद इलहान उमर ने भी प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता दिखाई। किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने आरोप लगाया कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है। सिख पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के अध्यक्ष गुरिंदर सिंह खालसा ने एक अलग बयान में कहा कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन भारत सरकार की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ सबसे बड़ी क्रांति बनने जा रहा है।
कंगना का ट्वीट हटाया
ट्विटर इंडिया ने नियम उल्लंघन का हवाला देते हुए गुरुवार को बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत के दो ट्वीट हटा दिए। अभिनेत्री केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की आलोचना कर रही थीं।
गाजीपुर बॉर्डर पर सांसदों को रोका गया
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से मुलाकात करने जा रहे दस विपक्षी दलों के 15 सांसदों को पुलिस ने गुरुवार को गाजीपुर सीमा पर जाने से रोका दिया। प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने जा रहे 15 सांसदों के समूह में शिरोमणि अकाली दल (शिअद), द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और तृणमूल कांग्रेस समेत अन्य दलों के सांसद शामिल थे। शिअद नेता हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि नेताओं को अवरोधकों को पार करने और प्रदर्शन स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी गई। हरिसमरत के अलावा राकांपा सांसद सुप्रिया सुले, द्रमुक से कनिमोई और तिरुचि शिवा, तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय इस समूह का हिस्सा थे। नैशनल कॉन्फ्रेंस, रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य भी इसमें शामिल थे।