सरकार भारत में कोविड-19 से बचाव के टीकों के उत्पादन के लिए अमेरिकी कंपनियों फाइजर, जॉनसन ऐंड जॉनसन और मॉडर्ना से बातचीत कर रही है। देश में टीकों की मांग पूरी करने और टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए सरकार ने यह पहल की है। विदेश सचिव हर्ष वद्र्धन शृंगला ने गुरुवार को कहा, ‘हम फाइजर, जॉनसन ऐंड जॉनसन और मॉडर्ना के टीके भारत में बनाने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं।’
शृंगला ने कहा कि टीकों की आपूर्ति का ढांचा पेचीदा होता है। भारत ने कूटनीतिक स्तर पर इन टीकों की आपूर्ति से जुड़ी नियामकीय बाधाएं कम करने के लिए कदम उठाए हैं। अप्रैल-मई के दौरान देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जान-माल को भारी नुकसान पहुंचा है। संक्रमण के मामले तेजी से बढऩे से देश के विभिन्न भागों में आवश्यक दवाओं और इस महामारी से बचाव के टीकों की भारी कमी हो गई थी।
इस बीच, अलग से आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि टीकों के विनिर्माण और उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्री एवं कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भारत अमेरिका से अलग से भी बातचीत कर रहा है। बागची ने कहा कि पिछले सप्ताह विदेश मंत्री के अमेरिकी दौरे में इस विषय पर बातचीत हुई थी।
प्रवक्ता ने कहा, ‘इस वैश्विक महामारी से लडऩा भारत और अमेरिका दोनों के हित में है। टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी लाकर ऐसा किया जा सकता है। अमेरिका ने दूसरे देशों को भी टीके उपलब्ध कराने की घोषणा की है। हम इस संबंध में और जानकारियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’ अमेरिका ने कहा है कि वह अन्य देशों को कोविड-19 के 2 करोड़ टीके उपलब्ध कराएगा।
भारत को अगस्त और दिसंबर के बीच टीकों की 2 अरब खुराक मिलने की उम्मीद है। इतनी खुराक देश की पूरी वयस्क आबादी को टीके लगाने के लिए पर्याप्त होगी। पिछले सप्ताह नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने कहा था कि कोविड-19 टीकों की जल्द से जल्द आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार और फाइजर बातचीत कर रह रही हैं। इससे पहले फाइजर ने संकेत दिए थे कि जुलाई से वह टीकों की आपूर्ति कर पाएगी। सरकार फाइजर के उस अनुरोध पर भी विचार कर ही है जिसमें कंपनी ने टीके के प्रतिकूल असर से पैदा होने वाली मुश्किलों से सुरक्षा की मांग की है।
शृंगला ने कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल हेल्थ पार्टनर्स फोरम में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि शीर्ष वैश्विक स्वास्थ्य संस्था भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल की अनुमति जल्द दे देगी।
उन्होंने कहा कि भारत कोविड-19 की दूसरी एवं असाधारण लहर से जूझ रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि इस महामारी से देश पर अभूतपूर्व आर्थिक दबाव पड़ा है और सामाजिक स्तर पर भी हालात बिगड़े हैं और आम लोग मानसिक परेशानी का शिकार हुए हैं।
उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय कोविड-19 से सुरक्षा के लिए आवश्यक सामग्री और दवाइयां खरीदने के लिए लगातार काम कर रहा है। विदेश सचिव ने कहा कि महामारी के दौरान मंत्रालय दुनिया भर में आवश्यक दवाओं और टीकों में इस्तेमाल होने वाले रासायनिक तत्त्वों के लिए इनके संभावित आपूर्तिकर्ताओं के संपर्क में रहा है।
उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी के दौरान विदेश मंत्रालय ऑनलाइन माध्यम से विभिन्न देशों के संपर्क में रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन माध्यम से अब तक 12 शिखर सम्मेलन कर चुके हैं और 75 से अधिक द्विपक्षीय वार्ता भी हुई है। विदेश मंत्री और विदेश मंत्रालय ने कई स्तरों पर सैकड़ों वार्ताएं की हैं।’
सरकार आने वाले समय में वैश्विक स्तर पर टीकों का उत्पादन बढ़ाने के प्रयासों में भाग लेगा। शृंगला ने कहा, ‘इस विषय पर जी-7, जी-20, क्वाड, ब्रिक्स, संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ में दुनिया के सभी देश विचार-विमर्श कर रहे हैं।’
बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधित पहलुओं (ट्रिप्स) के तहत अस्थायी रियायत पर भारत विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि सभी के लिए समय रहते टीके उपलब्ध हो सके।
