गुजरात में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय एवं क्षेत्रीय समीकरण साधना शुरू कर दिया है। पार्टी ने भूपेंद्र पटेल मंत्रिमंडल में पुराने लोगों की छुट्टïी कर नए चेहरों को शामिल किया है। हालांकि इस बात का कयास पहले से लगाया जा रहा था मगर यह निर्णय तब भी साहसिक माना जा रहा है। गुजरात में राज्य विधानसभा के लिए चुनाव दिसंबर 2022 में होंगे मगर भाजपा ने जाति एवं क्षेत्रीय समीकरण पहले से दुरुस्त करने शुरू कर दिए हैं।
मुख्यमंत्री पटेल स्वयं राज्य में राजनीतिक रूप से प्रभावी पाटीदार समुदाय से आते हैं। राज्य मंत्रिमंडल में अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) के प्रतिनिधियों को सबसे अधिक जगह दी गई है। इसके बाद पाटीदार, आदिवासी, ब्राह्मïण, अनुसूचित जाति (एससी) और जैन समुदाय के प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया है। ओबीसी समुदाय से नौ, पाटीदार समुदाय से सात और आदिवासी समुदाय से तीन मंत्री बनाए गए हैं। ब्राह्मïण और अनुसूचित जाति से दो-दो मंत्री कैबिनेट में शामिल किए गए हैं। जैन समुदाय से एक मंत्री को जगह मिली है।
कुल 24 मंत्रियों में 10 कैबिनेट स्तर के मंत्री बनाए गए हैं। पांच स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री जबकि नौ राज्य मंत्री बनाए गए हैं। राज्य के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने गुरुवार को नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, पूर्व उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और राज्य भाजपा के प्रमुख सी आर पाटिल मौजूद थे।
राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार इस बदलाव की उम्मीद तो थी मगर पुराने चेहरों की जगह नए लोगों को शामिल करना एक साहसिक निर्णय है। इस बारे में एक प्रेक्षक ने कहा, ‘अपेक्षाओं से उलट पार्टी ने न केवल नए लोगों को कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया है बल्कि नए लोगों को स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री पद की कमान दी गई है। राज्य में विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से थोड़ा ही समय अधिक रह गया है इसलिए इस लिहाज से भाजपा का निर्णय साहस भरा है।’ जिन नए लोगों को जगह दी गई है उनमें राज्य विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी और राज्य इकाई के पूर्व प्रमुख जीतू वघानी शामिल हैं। कांग्रेस से भाजपा में आए राघवजी पटेल और बृजेश मेरजा भी मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं।
क्षेत्रवार हिसाब से देखें तो नए मंत्रिमंडल में 2017 के चुनाव की छाप दिखती है। उस चुनाव में सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात में भाजपा को कठिन चुनौती मिली थी। इसे देखते हुए सत्ताधारी पार्टी ने इन दोनों क्षेत्रों से सर्वाधिक लोगों को मंत्री बनाया गया है। नए मंत्रियों को अब तक विभाग नहीं बांटे गए हैं।