उत्तर प्रदेश इन दिनों भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है और लगभग हर इलाके में औसतन 12 घंटे बिजली की कटौती की जा रही है।
यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) इस समस्या से निपटने के लिए तमाम उपाय कर रही है, लेकिन संकट अब भी बरकरार है। ‘पूरब का मैनचेस्टर’ नाम से मशहूर कानपुर शहर में तो मौजूद कपड़ा उद्योगों को 2 मई से रोजाना चार घंटे बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है।
कौन सुनेगा
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोशिएसन (आईआईए) के पूर्व अध्यक्ष तरुण क्षेत्रपाल का कहना है कि औद्योगिक और घरेलू, दोनों उपभोक्ताओं को करीब 12 से 14 घंटे बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। वर्तमान में बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच रोजाना 2000 मेगावॉट का अंतर है।
कोशिश जारी है
हालांकि सरकार की ओर से 11वीं पंचवर्षीय योजना में 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी), भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) और प्राइवेट कंपनियों- रिलायंस और लेनको से सरकार की ओर से बात चल रही है।
एनटीपीसी की ओर से बुंलेदखंड इलाके के ललितपुर जिले में 4,000 मेगावाट की क्षमता वाले बिजली संयंत्र की स्थापना की जा रही है, जबकि भेल की ओर से अनपारा डी में 1,000 मेगावाट क्षमता वाले थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की जा रही है। लेनको की इलाहाबाद जिले में दो पावर प्लांट स्थापित करने की योजना है। बारा और करछना में 1,980 मेगावाट और 1,320 मेगावाट के थर्मल प्लांट की स्थापना की योजना है।
गांवों का हाल
गोंडा जिले के शिवराजपुरा गांव के ए. पी. दुबे का कहना है कि ग्रामीण इलाकों की हालत और ज्यादा खराब है। गांवों में मुश्किल से 8 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है।
बिजली की दर
जहां तक बिजली की दरों की बात है, तो सरकार की ओर से हाल ही में इसमें संशोधन किया गया है। इसके तहत बिना मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए 100 रुपये प्रति माह की दर से बिजली मुहैया कराई जा रही है, जबकि उद्योगों को 4 रुपये प्रति यूनिट की दर से भुगतान करना पड़ता है।
आगामी योजनाएं
मांग बढ़ने की वजह से यूपीपीसीएल दूसरे राज्यों से भी बिजली खरीद की योजना बना रहा है। यूपीपीसीएल के प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी ने बताया कि हम दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने की कोशिश में लगे हैं।
मांग-आपूर्ति
राज्य में कुल 26 हाइड्रो और थर्मल पावर प्लांट हैं, जिसकी क्षमता 2,700 मेगावाट बिजली उत्पादन की है, जबकि 3000 मेगावाट बिजली सेंट्रल सेक्टर से आपूर्ति की जा रही है, लेकिन मांग इससे भी कहीं ज्यादा है।
कारोबार पर असर
व्यवसायी चंद्र कुमारा छाबड़ा का कहना है कि प्रमुख शहरों के बजारों में बिजली कटौती से व्यवसाय पर असर पड़ रहा है। आईआईए के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर डी. एस. वर्मा का कहना है कि राज्य में बिजली संकट की वजह से उद्योगपति यहां निवेश करने से कतराते हैं।
प्रादेशिक आइना
उत्तर प्रदेश – हाल-ए-बिजली
मांग करीब 8000 मेगावॉट, जबकि उपलब्धता 5,500 मेगावॉट
घंटों बिजली कटौती झेलने को मजबूर हैं घरेलू-औद्योगिक उपभोक्ता