प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत सिर्फ एक तिहाई के करीब निर्माण श्रमिकों को ही नकद हस्तांतरण हो सका है। केंद्र सरकार की योजना है कि लक्ष्य बनाकर इस योजना से वंचित रह गए श्रमिकों का पंजीकरण करके उन्हें लाभ पहुंचाया जाए।
कोविड-19 के कारण हो रही दिक्कतों से बचाने के लिए करीब 1.8 करोड़ निर्माण श्रमिकों के खातों में नकद हस्तांतरण किया गया है, जबकि पिछले महीने श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में इस तरह के 5 करोड़ श्रमिक होने का अनुमान है।
बिहार, छत्तीसगढ़ और झारखंड के अनुमानित 67 लाख निर्माण श्रमिकों में से किसी को नकद हस्तांतरण का लाभ नहीं मिला है। वहीं दिल्ली में कुल अनुमानित श्रमिकों मेंं 5 प्रतिशथ को ही पीएमजीकेवाई के तहत नकद सहायता मिली है। इसके अलावा केरल में 15 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 22 प्रतिशत निर्माण श्रमिकों को योजना के तहत मदद मिली है।
मार्च में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने राज्यों को निर्देश दिए थे कि कल्याण कोष के इस्तेमाल न हुए धन को निर्माण श्रमिकों के खाते में हस्तांतरित किया जाए। बाद में इसे सरकार द्वारा घोषित कोविड-19 के पहले पैकेज का हिस्सा बनाया गया।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘केंद्रीय श्रम एवं कल्याण मंत्रालय मिशन के रूप में सभी पात्र निर्माण श्रमिकों को शामिल करने की परियोजना बना रही है, जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जा सके।’
निर्माण श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत उन्हे महामारी के दौरान बेरोजगारी लाभ जैसे भत्ता दिया जाना शामिल है। राज्य सरकारें निर्माण फर्मों पर उपकर लगाती हैं जो निर्माण लागत का 1 प्रतिशत होता है। उपकर कोष का रखरखाव राज्य सरकारें करती हैं और इसका इस्तेमाल बिल्डिंग ऐंड अदर कंस्ट्रक् शन वर्कस ऐक्ट 1996 के तहत कुछ कल्याणकारी योजनाओं में होता है। भारत में निर्माण श्रमिक असंगठित क्षेत्र में आते हैं, जिनकी हिस्सेदारी गैर कृषि रोजगार में विनिर्माण के बाद सबसे ज्यादा है। कानून के तहत निर्माण श्रमिक कल्याणकारी उपायों के पातत्र हैं, अगर उनका पंजीकरण उचित प्राधिकारियों के यहां है और उनकी फर्में हर साल उनकी तरफ से अंशदान करती हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘श्रमिकों को जानकारी नहीं होती है कि वे कल्याणकारी योजनाओं के पात्र हैं। यह बड़ी वजह है, जिसके कारण वे छूट गए हैं। हम राज्यों को सलाह देंगे कि आसान पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करें और निर्माण श्रमिकों का नवीकरण करें।’ श्रमिकों को ऑनलाइन या मिस्ड कॉल के माध्यम से खुद पंजीकरण कराने, या पंजीकरण का नवीकरण कराने, आधार व बैंक खाते का ब्योरा जमा करके खुद घोषणा करने जैसे विकल्प देकर इस दिशा में कुछ कदम उठाए गए हैं। सरकार निर्माण श्रमिकों के पंजीकरण या नवीकरण पर नकद प्रोत्साहन की पेशकश करने की भी योजना बना रही है। सरकार राज्यों द्वारा उपकर कोष का इस्तेमाल निर्माण श्रमिकों के लिए बेहतर तरीके से करने पर जोर दे रही है। राज्यों ने ऐसे श्रमिकों के खाते में नकद हस्तांतरण पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। करीब 38,000 करोड़ रुपये उपकर कोष का इस्तेमाल नहीं हुआ है।
