मंदी की मार आगरा के जूते कारोबारियों पर भी खूब पड़ रही है।
शहर की प्रसिद्ध ‘हींग की मंडी’ में जूते के करीब 80 कारोबारी हैं, जो आगरा और आस-पास की करीब 400 निर्माण इकाइयों से जूता-चप्पल खरीदकर देशभर में उसकी आपूर्ति करते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में बिकने वाले कुल जूते, चप्पल और सैंडिल में से आधी की आपूर्ति यहीं से होती है। हालांकि पिछले कुछ दिनों से यहां के कारोबारी परेशान नजर आ रहे हैं। करीब 15 कारोबारी खुद को दिवालिया घोषित कर चुके हैं, वहीं दर्जन भर दूसरे कारोबारी भी नुकसान के चलते दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुके हैं।
बाजार के जानकारों का कहना है कि यहां का सालाना कारोबार करीब 750-800 करोड़ रुपये का है, जबकि आर्थिक मंदी की वजह से इसके कारोबार में भारी गिरावट की आशंका है। अनुमान के मुताबिक, इसका कारोबार गिरकर 600 करोड़ रुपये तक रह सकता है।
बोनो शूज के मालिक मुजीब खान ने बताया कि यहां कारोबार आईओयू नोट्स के आधार पर होता है, जिसमें भुगतान 3 से 6 महीने तक करने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि पहले तो भुगतान सही समय पर हो जाता था, लेकिन पिछले 4 से 6 महीने से कारोबारी निर्माताओं को सही समय पर भुगतान नहीं कर पा रहे हैं।
नकदी की किल्लत की वजह से 14 से 15 कारोबारी खुद को दिवालिया घोषित कर चुके हैं। आगरा में करीब 2 लाख लोगों को फुटवियर कंपनियों में रोजगार मिला हुआ है, लेकिन इसके बंद होने से उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा।
उत्तर प्रदेश के नेशनल चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि आगरा में करीब 60 फीसदी जूते का निर्माण असंगिठत क्षेत्रों में होता है। इस ओर कभी किसी का ध्यान नहीं गया है। मंदी और मांग कम होने की वजह से एक माह के दौरान करीब 150-200 कारीगरों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है।
आगरा के मझोले उद्योग में काम करने वाले राहुल श्रोत्रिय ने बताया कि कंपनी को ऑर्डर नहीं मिल रहा था, जिससे उसने काम बंद कर दिया है। इसकी वजह से वे भी बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि एक तो नए ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं, वहीं समय पर भुगतान नहीं होने से भी समस्या हो रही है।
उनके मुताबिक, यहां से दिल्ली, मुंबई, पुणे तक से खरीदार आते थे, लेकिन अब सभी जगह से मांग कम हो गई है। छोटे-मझोले उद्योगों के पास कच्चे माल का स्टॉक भी ज्यादा नहीं होता है। ऐसे में पूंजी की किल्लत की वजह से काम बंद करना पड़ रहा है।
आगरा फुटवियर मैन्यूफैक्चरर्स एंड एक्सपोटर्स चैंबर के सूत्रों का कहना है कि वैश्विक मंदी का असर निर्यातकों पर नहीं पड़ा है। यहां से निर्यात में सालाना 20-25 फीसदी की दर से इजाफा हो रहा है। फुटवियर निर्माता दिलीप मित्तल ने बताया कि हाल में आयोजित फुटवियर एक्सपो में अच्छा ऑर्डर मिला है।