यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख फहीम यूनुस का कहना है कि यह कहना खतरे से खाली नहीं होगा कि दुनिया ने कोविड-19 वायरस का खात्मा कर दिया है। उन्होंने रुचिका चित्रवंशी से कहा कि भारत को इस महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए प्रत्येक दिन 70 लाख लोगों को टीके लगाने होंगे। साक्षात्कार के प्रमुख अंश:
महामारी से पुख्ता तरीके से निपटने के लिए भारत को क्या खास उपाय करने होंगे?
इस महामारी के सबंध में आने वाली सूचनाएं तेजी से बदल रही हैं और इससे निपटने के लिए सूचना प्रसारित करने के लिए एक एकीकृत सार्वजनिक व्यवस्था करनी होगी। हरेक देश एक अलग किस्म की चुनौती से निपट रहा है। भारत में प्रत्येक 1 लाख आबादी पर अस्पतालों में 0.5 बिस्तर उपलब्ध है। देश के कम से कम 12 राज्यों में यह आंकड़ा राष्टï्रीय औसत से कम है। ब्राजील भारत के मुकाबले स्वास्थ्य सेवाओं पर 16 गुना अधिक खर्च कर रहा है। भारत में इस समय 10 प्रतिशत से भी कम लोगों को टीके लग पाए हैं। देश को काफी कम समय में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करना होगा। इस दिशा में सबसे पहले लोगों को ऑक्सीजन के उपयुक्त तरीके से इस्तेमाल के बारे में बताया जा सकता है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में भारत की तरह तबाही क्यों नहीं है?
हमें यह नहीं मालूम कि बी 117 और भारत में पाए गए अन्य स्वरूपों के अलावा कौन सा स्वरूप चारों तरफ फैल रहा है। आगे क्या होगा यह कहना बहुत मुश्किल है। किसे पता कि भारत के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान में महामारी विकराल रूप धारण कर ले। अगर स्वास्थ्य सेवाएं सीमित या कमजोर हों तो महामारी में विफलता के लिए तैयार रहना चाहिए। अभी से यह मानना अंधेरे में तीर चलाने जैसा होगा कि कि वायरस खत्म हो चुका है। इस तरह की सोच बाद में सिरदर्द साबित होती है और ब्राजील, अमेरिका और ब्रिटेन में यह बात साबित भी हो चुकी है। दूसरी तरफ ताइवान, हॉन्ग कॉन्ग और न्यूजीलैंड में लोग वायरस को लेकर सतर्क रहे और इसका उन्हें लाभ भी मिला।
अब तीसरी लहर की आशंका व्यक्त की जाने लगी है। क्या यह दूसरी लहर से भी अधिक जानलेवा होगी?
कितनी और लहरों का सामना करना होगा इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। अमेरिका में जनवरी की तरह लहर शायद नहीं आएगी क्योंकि यहां देश के आधे लोगों को टीके लग चुके हैं। भारत में अगर प्रतिदिन 70 लाख लोगों को टीके लगाए जाते हैं तो तीसरी लहर के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। भारत यह काम अपने दम पर नहीं कर पाएगा और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सहायता लेनी होगी। अगर देश में 80 प्रतिशत लोग बिना टीके के रहे तो कमजोर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ कोविड-19 महामारी से लडऩा असंभव होगा।
क्या आने वाले महीनों में कोविड के इलाज की कोई दवा तैयार हो सकती है या हमें टीके पर ही निर्भर रहना होगा?
मुझे नहीं लगता कि कोई दवा टीके जितनी प्रभावी होगी। कोविड-19 से निपटने में टीके पर हमारी निर्भरता बनी रहेगी।
नए दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि वायरस हवा से भी फैल रहा है। इस पर आपकी क्या राय है?
हवा से वायरस फैलने का यह कतई मतलब नहीं है कि हवा में वायरस घुल गया है। हवा के जरिये संक्रमण फैलने का यह मतलब है कि अगर आप भीड़ वाली किसी बंद जगह में हैं तो किसी व्यक्ति से छह फुट दूरी बरतने के बाद भी आप संक्रमित हो सकते हैं।
जीनोम सीक्वेंसिंग के मामले में भारत कहां खड़ा होता है?
जीनोमिक सीक्वेंसिंग (किसी जीव के जीनोम में डीएनए क्रम का पता लगाने की प्रक्रिया) 1 प्रतिशत से भी कम मामलों में की गई है। इस समय जो भी निष्कर्ष निकाले जा रहे हैं वे अधूरे आंकड़ों पर आधारित हैं। यह काफी जोखिम भरा है। अगर आप यह अनुमान लगाते हैं कि आगे क्या होगा और इसे कैसे रोका जा सकता है तो जीनोमिक सीक्वेसिंग के इस्तेमाल की जरूरत होगी। अन्यथा अधूरे और गलत आंकड़ों के आधार पर हवाई यातायात बंद करने जैसी गलतियां हो सकती हैं। इससे लोगों में अनावश्यक डर का माहौल पैदा होगा और अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा। अगर पूरी दुनिया में बी 117 स्वरूप है तो इस समय ब्रिटेन से उड़ान की इजाजत क्यों नहीं है? जीनोमिक सीक्वेंस एक दुर्लभ संसाधन है और ज्यादातर देश इसके लिए संघर्ष कर रहे हैं।
भारत में भविष्य में इस महामारी की आशंका को लेकर आप कितने चिंतित हैं?
वायरस पूरी दुनिया में इस हद तक फैल चुका है कि इसे खत्म करने की बात सोचना दिन में सपना देखने जैसा होगा। एच1एन1 करीब 11 वर्ष पहले आया था लेकिन यह वायरस अब तक मौजूद है। हमारा लक्ष्य कोविड-19 को खत्म करने के बजाय इसे निष्प्रभावी करने पर होना चाहिए। फिलहाल हम लोगों को टीका लगाना जारी रख सकते हैं। कंपनियां दूसरे स्तर के टीकाकरण के बारे में सोचना शुरू करेंगी। खासकर एमआरएनए टीका कारगर रहेगा क्योंकि इसमें आसानी से आवश्यक बदलाव किए जा सकते हैं। नए स्वरूपों को शामिल करने के लिए इस टीके में बदलाव उतना कठिन नहीं है और फाइजर इस पर काम भी कर रही है। समय के साथ वायरस कमजोर पड़ेगा।
क्या आपको लगता है कि कोविड-19 के जाने के बाद किसी नए वायरस या नई महामारी का खतरा पैदा हो जाएगा?
खतरा तो हमेशा बना रहता है। महामारी जिस रूप में फैलती है उससे हमें कोई हैरानी नहीं हुई। हां, पर्याप्त तैयारी और आपसी समन्वय के अभाव में महामारी की गंभीरता और वायरस के राजनीतिकरण ने हमें हैरान जरूर किया है। यह देखकर दुख हो रहा है कि इस वैश्विक संकट में हम कितने बंटे हुए हैं। दुनिया को कई सबक लेने हैं। चीन ने जितनी तेजी से वायरस पर नियंत्रण पाया है लोग यह देखकर आश्चर्यचकित हैं। चीन ने एच1एन1 और सार्स1 जैसे संक्रमणों से सबक लिया था इसलिए वह कोविड-19 पर तेजी से नियंत्रण करने में सफल रहा।