भले ही सरकार बुधवार को पानीपत में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन का 900 करोड़ रुपये से बना संयंत्र राष्ट्र को सौंपने को तैयार है मगर दूसरी पीढ़ी के स्रोतों से एथनॉल उत्पादन करने की देश की महत्त्वाकांक्षी परियोजना को धरातल पर आने में वक्त लगेगा। हालांकि वर्ष 2016-17 में सरकारी तेल कंपनियों ने 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर 12 संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की थी। यह पहली इकाई है जो पटरी पर आ रही है जबकि अन्य संयंत्र पारंपरिक एथनॉल इकाइयों की तुलना में उच्च पूंजीगत व्यय, फीड स्टॉक की उपलब्धता और तैयार माल की अधिक कीमतों के कारण कमी की वजह से विभिन्न चरणों में अटकी हैं।
उद्योग के सूत्रों के अनुसार, तीन और दूसरी पीढ़ी के संयंत्र पटरी पर हैं, जिसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) द्वारा बठिंडा (पंजाब), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन द्वारा बारगढ़ (ओडिशा) और नुमालीगढ़ रिफाइनरी द्वारा नुमालीगढ़ (असम) शामिल है। इन सभी तीन इकाइयों को सरकार ने 150-150 करोड़ रुपये की सहायता भी दी है। सरकारी तेल कंपनियों द्वारा निर्मित 12 संयंत्रों में से उम्मीद जताई जा रही है कि एचपीसीएल की चार, आईओसीएल और बीपीसीएल के तीन-तीन संयंत्र रहेंगे। इसके अलावा मंगलूर रिफाइनरी और नुमालीगढ़ रिफाइनरी एक-एक संयंत्र स्थापित करेगी।
उस वक्त तक निजी क्षेत्र की कंपनियां भी 16 नई इकाइयां तैयार की थीं जो अभी विभिन्न चरणों में अटकी हैं। देरी का कारण उत्पादन के लिए जरूरी कच्चे माल के अनुसार एथनॉल को पहली (1जी), दूसरी (2जी) और तीसरी (3जी) पीढ़ी में बांटा गया है। 1जी में गन्ना और बीज को कच्चा माल के रूप में उपयोग किया जाता है, जबकि 2जी में खेतों के अपशिष्ट जैसे चावल की भूसी, मकई के दाने, गेहूं के भूसे और गन्ने की खोई उपयोग होती है। 3जी में अपशिष्ट जल में उगले वाले शैवाल और खारा पानी का उपयोग किया जाता है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के पूर्व महानिदेशक और चीनी उद्योग के जानकार अविनाश वर्मा बताते हैं, ‘2जी में भी कच्चे माल को पहले चीनी में बदलना चाहिए और उसके लिए इस्तेमाल होने वाला इनजाइम अबतक भारत में नहीं बनता है। 1जी संयंत्र बनाने में 150 करोड़ रुपये का खर्च होता है, तो वहीं उसी आकार के 2जी संयंत्र के निर्माण में करीब नौ करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय होता है। ‘ साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में धान की पराली इकट्ठा करना भी उन कंपनियों के आसान नहीं होने वाला है जो 2जी संयंत्र स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
सरकार के अनुसार पानीपत संयंत्र पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है, जहां करीब 2 लाख टन पराली की खपत होगी जिससे सालाना तीन करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हो सकेगा। भारत ने 2025 तक 20 फीसदी पेट्रोल को एथनॉल के साथ मिलाने का महत्त्वाकांक्षी फैसला लिया है। इसके हासिल करने के लिए देश को 10-11 अरब लीटर एथनॉल का उत्पादन करना होगा। इतने उत्पादन के लिए 12 अरब लीटर क्षमता वाले संयंत्र की भी स्थापना करनी होगी । अभी कुल एथनॉल उत्पादन संयंत्र की क्षमता 6 अरब लीटर है।
