सिर्फ 517 दिन बाद 3 अक्टूबर, 2010 भारतीय इतिहास में एक यादगार दिन बन जाएगा। इस तारीख से शुरू होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों में बड़ी तादाद में सैलानी भारत आएंगे।
सैलानियों को ठहराने के लिए फिलवक्त दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कुल 13,000 से 15,000 कमरे हैं। भारत पर्यटन मंत्रालय का अनुमान है कि अगले वर्ष खेलों में सैलानियों को देखते हुए और 40,000 कमरों की जरूरत होगी।
सरकारी एजेंसियों जैसे दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने इस मांग को पूरा करने के लिए दिल्ली में लगभग 33 होटल प्लॉटों को रियल एस्टेट डेवलपरों और होटल समूहों को बेचा। लेकिन मंदी के बाद ऐसी आशंकाएं जताई जा रही है कि इनमें से लगभग 50 से 60 प्रतिशत होटल खेलों तक पूरे नहीं हो पाएंगे।
उद्योग जगत के मुताबिक डीडीए की नीलामी के बाद 33 में से 60 से 70 प्रतिशत प्लॉट उन कंपनियों ने खरीदे थे जो होटल कारोबार में पहली बार उतर रही हैं। इतना ही नहीं उद्योग जगत का अनुमान है कि डेवलपरों ने डीडीए के जितने भी प्लॉट खरीदे हुए हैं, उनमें से एक भी होटल खेलों तक तैयार नहीं हो सकेगा।
सरकारी प्रयास
ऐसे में राष्ट्रमंडल खेलों के लिए पर्यटकों को ठहरना एक बड़ी परेशानी बन सकता है। हालांकि सरकारी एजेंसियां यह मानने को तैयार नहीं हैं डीडीए की जनसंपर्क विभाग की निदेशक नीमो धर का कहना है, ‘हमें उम्मीद है कि हमने जितने प्लॉट बेचे हैं, उन पर राष्ट्रमंडल के रहते काम पूरा हो जाएगा।
और जो कुछ होटल तब तक नहीं बन पाएंगे, उनके लिए हमने भारतीय पर्यटन मंत्रालय के आईटीडीसी विभाग को 3000 फ्लैट देंगे। ये फ्लैट पीतमपुरा, वसंत कुंज जैसे इलाकों में होंगे।’ गौरतलब है कि डीडीए के ये 3,000 फ्लैट से खेलों के लिए 5,000 कमरों की जरूरत पूरी की जा सकेगी।
पर्यटन मंत्रालय की जरूरतों के अनुसार इन फ्लैटों में सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। खेलों के बाद इन फ्लैटों का क्या होगा इस पर नीमो धर का कहना है कि अभी इसके लिए कोई नीति तैयार नहीं की गई है।
एजेंसियों के दावे कुछ भी हों, उद्योग जगत की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में उद्योग संस्थाओं की एक बैठक पर्यटन मंत्रालय से हुई थी, जिसमें होटलों की परियोजनाओं को हरी झंडी देने के लिए एकल खिड़की प्रणाली की बात सामने रखी गई।
कैसे बनाएं होटल…
फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव दीपक शर्मा का कहना है, ‘खेलों के लिए कितने कमरे चाहिए, आज होटल उद्योग इसी बात का सही-सही अंदाजा नहीं लगा पा रहा है और यह भी वजह है कि आकलन न कर पाने की वजह से होटलों के निर्माण और विस्तार में देरी देखने को मिल रही है।
मंदी, आतंकी हमले और परियोजना को अनुमति दिलाने की लंबी प्रक्रिया, कई ऐसे कारण हैं, जिस वजह से हमें अंदाजा ही नहीं हो पा रहा कि खेलों के लिए कितने पर्यटक आएंगे। इसके अलावा इस समय फंड की कमी के कारण भी होटल उद्योग में निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है।’
मंदी ने होटल उद्योग के सपनों को थोड़ा धुंधला जरूर कर दिया है, लेकिन कुछ कंपनियां अब भी पूरजोर कोशिश में लगी हुई हैं। रियल एस्टेट की कंपनी बीपीटीपी के वरिष्ठ अधिकारी प्रवक्ता का कहना है, ‘हमारी कोशिश है कि हम अपना नोएडा का होटल राष्ट्रमंडल खेलों के शुरू होने से पहले पूरा लेंगे।
फिलहाल हम फंड की कमी से जूझ रहे हैं और जैसे ही हमारी यह समस्या सुलझ जाएगी, हम अपने पहले चरण को पूरा करने में लग जाएंगे।’ कंपनी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कंपनी से होटल प्रबंधन के लिए हो रही बातचीत एक से दो सप्ताह के बीच अंतिम रूप ले लेगी और फिर 5 लाख वर्गफुट का कंपनी का पहला चरण, राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पूरा पूरा हो जाएगा। यह परियोजना 600 करोड़ रुपये की है।
बड़े न सही, होटल तो हों
लक्जरी होटलों के अलावा कमरों की मांग को पूरा करने में बजट होटल और अतिथि उद्योग की दूसरी परिसंपत्तियां भी अपनी कम कस रही हैं। अप्रैल में आईटीसी वेलकम ग्रुप की बजट होटल से जुड़ी कंपनी फ्यूचर पार्क होटल्स लिमिटेड ने नोएडा में फ्यूचर इन ग्राजिया नाम से होटल शुरू किया है।
दिल्ली के टिवोली ग्रुप को भी 2010 खेलों से काफी उम्मीदे हैं। समूह के कार्यकारी निदेशक अनिल टंडन का कहना है, ‘हमने टिवोली की मौजूदा परिसंपत्तियों में और नई परिसंपत्तियां शामिल की है, जिससे हमारे कमरों की कुल संख्या बढ़कर 100 हो जाती है।
खेलों को ध्यान में रखते हुए हमने अपने कमरों की संख्या में इजाफा किया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को रहने की सुविधा मुहैया करा सकें।’ अनिल टंडन का कहना है कि अपनी परिसंपत्तियों को बेचने के लिए खेल समितियों और डीडीए दोनों से बातचीत कर रहे हैं।
इसके अलावा उप्पल समूह ने जेडब्ल्यू मैरियट के साथ गुड़गांव (210 कमरे) होटल को बनाने और उनके प्रबंधन के लिए करार किया है। कंपनी के ये दोनों होटल 2009 तक बन कर तैयार हो जाएंगे। वर्ष 3008-09 के अपने आम बजट में उस समय वित्त मंत्री रह चुके पी. चिदंबरम ने 31 मार्च, 2013 तक 2,3 और 4 सितारा होटल बनाने वालों को 5 वर्ष के लिए कर में छूट की राहत दी थी।
बावजूद इसके होटल उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि होटल निर्माण का काम पूरा नहीं हो सकेगा। दीपक शर्मा का कहना है, ‘मौजूदा बजट से होटल उद्योग को प्रोत्साहन नहीं मिला है। हां, अगर नई सरकार अगले आम बजट में होटल निर्माण को प्रोस्ताहन देती है, तो शायद कंपनियां एक साल में होटल बना सकें। नहीं तो मुझे होटल उद्योग राष्ट्रमंडल खेलों के लिए तैयार नहीं है।’
नाम बड़े और दर्शन छोटे
एनसीआर में पार्श्वनाथ, यूनिटेक की परियोजनाओं पर खतरा
रियलिटी डेवपलरों की ओर से खरीदे गए सभी प्लॉट नहीं हो सकेंगे तैयार
60 से 70 प्रतिशत प्लॉट नए डेवलपरों ने खरीदे, जिनमें से एक भी होटल नहीं हो रहा तैयार
सच होते सपने
लीला पैलेस का चाणक्य पुरी में होटल
इरोज समूह के मयूर विहार में दो होटल
इंडस होटल का नई दिल्ली में होटल
आईटीसी ग्रुप का एनसीआर गुड़गांव में होटल
