कोविड-19 की तीसरी लहर की चेतावनी से पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब तक कोविड संबंधी जरूरी सामानों के नाम पर गलत तरीकों का उपयोग कर धन शोधन करने के कुल 15 मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी के शुरुआती अनुमान के मुताबिक चेन्नई और बेंगलूरु सहित देश के विभिन्न शहरों में करीब तीन दर्जन संस्थाओं के जरिये तथाकथित तौर पर करीब 50 करोड़ रुपये के धन का शोधन किया गया।
इस मामले के जानकार एक अधिकारी ने कहा, ‘अस्पताल के बिस्तर को अवरुद्घ करने, मनमाने दाम पर उपकरणों और जीवन रक्षक आषधियों की बिक्री, फर्जी कोविड जांच, टीकाकरण के लिए श्रमबल की फर्जी भर्ती और यहां तक कि फर्जी टीकाकरण कैम्प जैसे अवैध कार्यों की जांच के लिए एक दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।’
अधिकारी के मुताबिक अत्यधिक कीमत पर बिस्तर मुहैया कराने के सिलसिले में दो जाने माने अस्पताल भी जांच के घेरे में आए हैं इनमें से एक अस्पताल चेन्नई में स्थित है। उन्होंने कहा कि हम अन्य राज्यों की एजेंसियों और क्षेत्रों के स्थानीय पुलिस से और अधिक इनपुट मिलने का इंतजार कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि चूंकि जांच अब भी जारी है ऐसे में इन मामलों में अपराध में शामिल रकम 100 करोड़ रुपये पर पहुंचने के आसार हैं।
खतरनाक दूसरी लहर के बीच केंद्रीय एजेंसी को कहा गया था कि वह रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित जरूरी जीवन रक्षक औषधियों को जमा करने और इनके लिए बढ़ा चढ़ा कर शुल्क वसूलने जैसी गतिविधियों में शामिल संस्थाओं के खिलाफ जांच अभियान चलाये। धन शोधन रोधी प्रावधानों के तहत फर्जी आरटी पीसीआर प्रमाणपत्रों को जारी किए जाने और अस्पताल के बिस्तरों/आईसीयू/वेंटिलेटरों के लिए मनमाना शुल्क वसूलने को भी अपराध के तौर पर लिया जाएगा।
इसके अलावा एजेंसी को कोविड-19 से संबंधित अपराध के मामलों को पीएमएलए के तहत विधेय अपराध के तौर पर लेने के लिए कहा गया है। मई और जून के दौरान कोविड उपचार की उपलब्धता का दावा करने वाले प्रचार काफी संख्या में नजर आ रहे थे। इनके जरिये लोगों को महंगे दामों पर ऑक्सीजन सिलिंडर, एंबुलेंस मुहैया कराकर ठगा गया था। अधिकारियों ने कहा कि जांच के दौरान उन्होंने पाया कि दूसरी लहर के दौरान बेईमान लोगों द्वारा कोविड संबंधी अपराधों का सबसे खराब स्वरूप नजर आया था। उन्होंने आपदा को अवसर में बदल दिया जिससे मानव जीवन को अपूर्णीय क्षति पहुंची। शोषण, धोखाधड़ी और विभिन्न प्रकार की वसूली के मामले भी दर्ज किए गए।
पता चला है कि प्रवर्तन एजेंसी ने इस मामले में सरकार को शुरुआती स्थिति रिपोर्ट सौंपी है।