जिस दिन भारत में कोविड-19 के मामले 3.4 लाख के आंकड़े को पार कर गए और इस महामारी से मरने वालों की संख्या 10,000 के आसपास पहुंच गई, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के अनुशासन के लिए देश की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से उबरने वालों की दर अब 50 फीसदी से ऊपर हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था की झटके से उबरने की ताकत साफ दिख रही है क्योंकि अब वृद्धि में सुधार के संकेत देखे जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आत्म संतुष्ट होकर बैठने का वक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि समय पर उठाए गए कदमों ने संभावित नुकसान को रोका है, लेकिन भारत तेजी से उबर रहा है। प्रधानमंत्री ने पंजाब, केरल, गोवा, उत्तराखंड, झारखंड, उत्तर-पूर्वी राज्यों एवं कुछ केंद्र शासित प्रदेशों समेत 21 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो-कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से उन स्तरों पर पहुंच रही है, जहां वह इस महामारी के भारत में आने से पहले थी। लगभग सभी सरकारी और निजी कार्यालय खुल गए हैं। लोग काम पर लौट रहे हैं और गलियों में काम पर आने-जाने वालों की चहल-पहल नजर आती है। इस संदर्भ में यह याद करना महत्त्वपूर्ण है कि भारत अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को संक्रमण से क्यों बचा पाया। बार-बार हाथ धोने और मास्क इस्तेमाल करने के अनुशासन को आगे भी बनाए रखने की जरूरत है।
इससे भी अच्छी खबर यह है कि बिजली की खपत बढ़ रही है। मई 2020 में उर्वरकों का इस्तेमाल पिछले साल मई में किसानों द्वारा इस्तेमाल की गई मात्रा से दोगुना रहा है। वर्ष 2019 की तुलना में खरीफ बुआई का रकबा 12 से 13 फीसदी बढ़ा है। दोपहिया वाहनों की मांग और उत्पादन लॉकडाउन से पहले के स्तर के 70 फीसदी पर पहुंच गया है। खुदरा क्षेत्र में डिजिटल भुगतान में सुुधार नजर आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना ही नहीं, मई में टोल संग्रह में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है, जो आर्थिक सुधार का एक संकेत है। लगातार तीन महीने तक कमजोरी के बाद जून में निर्यात में सुधार आया है।
मोदी ने कहा कि सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र की मदद के लिए बहुत से कदम उठाए हैं। इनमें बैंक ऋण विशेष रूप से उल्लेखनीय है। अगर बैंक अधिकारियों की समितियों ने एमएसएमई को कर्ज का त्वरित वितरण किया तो इससे रोजगार पैदा होंगे और वृद्धि जल्द पटरी पर आ जाएगी।
उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे मूल्य शृंखलाओं को फिर से चालू करने, माल की चढ़ाई एवं उतराई और एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहनों की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने में अपना सहयोग दें। उन्होंने कहा कि कृषि विपणन सुुधारों से किसानों को नए बाजार ढूंढने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। उत्तर-पूर्व में क्लस्टर आधारित तरीके से उत्पादकों को अपनी उपज बेहतर तरीके से बेचने में मदद मिलेगी।
मोदी ने कहा कि भारत ने दुनिया के अन्य बहुुत से देशों की तुलना में महामारी से निपटने में बेहतर प्रदर्शन किया है क्योंकि लोगों ने मास्क और सामाजिक दूरी का कड़ाई से पालन किया। मोदी ने कहा, ‘आवश्यक मुद्दा समय है। हमें सही समय पर फैसले लेने से महामारी के बेहतर नियंत्रण में मदद मिली है।’ मुख्यमंत्रियों ने भी अपने सुझाव दिए। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि देश में अर्थव्यवस्था और सरकारों पर कोविड के प्रतिकूल असर पर चर्चा और केंद्र-राज्यों की समन्वित पहल की योजना बनाने के लिए प्रधानमंत्री को कुछ मुख्यमंत्रियों का एक समूह बनाना चाहिए। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य इस कॉन्फ्रेंस के बाद और प्रतिबंधों को हटाने के बारे में विचार करेगा।
कम से कम एक साल बाद बन पाएगा टीका
कोरोनावायरस संक्रमण का उपचार खोजने के लिए पूरी दुनिया में चल रहे शोधों के बीच, वैज्ञानिकों का कहना है कि कोविड-19 बीमारी से बचाव के लिए टीका विकसित करने में कम से कम एक साल लग सकता है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि यदि परीक्षण, मंजूरी और टीकों के उत्पादन का पैमाना बढ़ाने की प्रक्रिया साथ-साथ होती है तो कुछ महीने पहले भी टीका उपलब्ध हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कोविड-19 के 10 संभावित टीकों का लोगों पर परीक्षण कर अध्ययन किया जा रहा है और 126 टीके अभी इससे पहले के चरण में है, यानी उन्हें लेकर अनुसंधान किया जा रहा है।
कारगर हो सकती है डेक्सामेथासोन दवा
ब्रिटेन में शोधकर्ताओं का कहना है कि पहला ऐसा प्रमाण मिला है कि एक दवा कोविड-19 के मरीजों को बचाने में कारगर हो सकती है। डेक्सामेथासोन नामक स्टेराइड के इस्तेमाल से गंभीर रूप से बीमार मरीजों की मृत्यु दर एक तिहाई तक घट गई। मंगलवार को नतीजों की घोषणा की गई और जल्द ही अध्ययन को प्रकाशित किया जाएगा। अध्ययन के मुताबिक सख्ती से जांच करने और औचक तौर पर 2104 मरीजों को दवा दी गई और उनकी तुलना 4,321 मरीजों से की गई, जिनकी साधारण तरीके से देखभाल हो रही थी। दवा के इस्तेमाल के बाद श्वसन संबंधी मशीनों के साथ उपचार करा रहे मरीजों की मृत्यु दर 35 प्रतिशत तक घट गई। जिन लोगों को ऑक्सीजन की सहायता दी जा रही थी उनमें भी मृत्यु दर 20 प्रतिशत कम हो गई। भाषा