जी20 की अध्यक्षता कर रहा भारत इस सम्मेलन के दौरान डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपनी सफलता प्रदर्शित कर सकता है और दूसरे देशों को अपनी डिजिटल अर्थव्यवस्था तथा भुगतान ढांचा को बढ़ावा देने के लिए सशर्त मदद की पेशकश कर सकता है।
ऐसा समझा जाता है कि श्रीलंका जैसे देशों में देखे गए आर्थिक पतन से बचने के गरीब देशों की सुप्रभु ऋणग्रस्तता को कम करने पर भारत जी20 भागीदारों और बहुपक्षीय संस्थानों के साथ अग्रिम स्तर की चर्चा भी कर सकता है।
अगले हफ्ते बेंगलूरु में जी20 वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की पहली बैठक में इस पर तथा अन्य एजेंडे पर चर्चा की जा सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।
24 एवं 25 फरवरी को होने वाली एफएमसीबीजी की बैठक से 22 फरवरी को आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा की सह-अध्यक्षता में वित्त तथा केंद्रीय बैंकों के उप प्रमुखों (एफसीबीडी) की बैठक होगी।
सेठ ने कहा, ‘इस बैठक का एजेंडा इस तरीके से तैयार किया गया है कि कुछ प्रमुख वैश्विक मुद्दों को संबोधित करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण पर विचारों का सार्थक-आदान प्रदान हो सके।’
इस बैठक में साझा वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों को मजबूत करना, भविष्य के शहरों के लिए मजबूत, समावेशी और टिकाऊ वित्तपोषण, डिजिटल सार्वजनिक ढांचे का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। इन सत्रों में वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों, वैश्विक स्वास्थ्य और अंतरराष्ट्रीय कराधान जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘यूपीआई और आधार जैसे डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का उपयोग करने में भारत की सफलता को प्रदर्शित किया जाएगा। भारत अन्य देशों को भी अपनी विशेषज्ञता की पेशकश कर सकता है लेकिन यह बिना शर्त नहीं होगा। इस तरह की कोई भी मदद बड़े कूटनीतिक सहयोग का हिस्सा होगी।’
सीतारमण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार कहा है कि कैसे भारत जी20 के अध्यक्ष के रूप में ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज बनेगा। इस मोर्चे पर गरीब राष्ट्रों पर चर्चा होने की उम्मीद है जिन्होंने कोविड-19 संकट के दौरान भारी कर्ज लिया और अब वे डिफॉल्ट के कगार पर पहुंच गए हैं।
उक्त अधिकारी ने कहा कि वार्ता में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है कि क्या अमीर ऋणदाता राष्ट्र और बहुपक्षीय संस्थान गरीब देशों को दिए गए ऋणों में पर्याप्त कटौती कर सकते हैं? हालांकि इस मामले पर किसी समझौते पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद नहीं है।
बहुपक्षीय संस्थानों और आमंत्रित राष्ट्रों सहित कुल 72 प्रतिनिधिमंडल इस बैठक में शिरकत करेंगे। बैठक में हिस्सा लेने वालों में अमेरिका की विदेश मंत्री जेनेट येलेन, फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन तथा जी 20 के अन्य सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंक के गवर्नर शामिल हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘एफएमसीबीजी बैठक में चर्चा का उद्देश्य 2023 में जी20 फाइनैंस ट्रैक के विभिन्न कार्यप्रवाहों के लिए स्पष्ट जनादेश प्रदान करना है। इन बैठकों से इतर डिजिटल सार्वजनिक ढांचे, क्रिप्टो संपत्तियों पर नीतिगत परिदृश्य तथा सीमा पार भुगतान में राष्ट्रीय भुगतान तंत्र की भूमिका जैसे कई अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।’