भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को कहा कि ब्रोकिंग हाउस को संस्थागत कारोबार के लिए नकदी बाजार में मार्जिन की व्यवस्था करनी होगी।
यह 21 अप्रैल से प्रभावी होगी। सेबी के इस कदम से संस्थागत कारोबार अब खुदरा कारोबार की बराबरी में आ जाता है।वर्तमान में संस्थागत कारोबार के लिए कोई मार्जिन प्रणाली है जबकि ब्रोकर खुदरा ग्राहकों से कारोबार के लिए मार्जिन वसूलते हैं।सेबी द्वारा जारी परिपत्र में कहा गया है, ‘सभी निवेशकों के लिए नकदी बाजार में डेरिवेटिव बाजार की तरह ही बराबरी का स्तर बनाने के लिए नकदी बाजार में संस्थागत कारोबार पर भी अन्य लेन देन की तरह मार्जिन का भुगतान करना होगा।’
फ्यूचर और ऑप्संश वर्ग में खुदरा और संस्थागत,दोनों प्रकार के निवेशकों के लिए मार्जिन प्रणाली है। मार्जिन संबंधी निर्णय सेबी के शॉर्ट सेलिंग, प्रतिभूति को गिरवी रखने और उधार लेने संबंधी निर्णय के साथ ही आया है जो 21 अप्रैल से प्रभावी होगा। दलालों (ब्रोकर) का कहना है कि यह कदम आवश्यक था क्योंकि वर्तमान में नकदी बाजार में संस्थागत निवेशकों द्वारा किए जाने वाले सभी कारोबार डेलीवरी आधारित कारोबार होते हैं।
इक्कीस अप्रैल से शॉर्ट सेलिंग के कार्यान्वयन के बाद दलालों को जोखिम करने के उद्देश्य से मार्जिन की जरुरत थी क्योंकि संस्थागत कारोबार शॉर्ट सेलिंग के तरह का भी हो सकता है। इसलिए इस प्रकार की अतिरिक्त पूर्वापाय किया गया है।संस्थागत कारोबार पर मार्जिन लगाए जाने से छोटे और मझोले ब्रोकिंग हाउस के कारोबारी मात्रा पर खासा प्रभाव होगा।
एक ब्रोकिंग हाउस के प्रमुख का कहना है, ‘संस्थागत निवेशकों को आकर्षित करने के लिए हमें खुद से मार्जिन की व्यवस्था करनी पड़ेगी।’ उन्होंने कहा, ‘केवल वैसे बड़े ब्रोकरेज हाउस जिनके पास काफी पैसा है ऐसे माहौल में बचे रह पाएंगे।’सेबी ने कहा कि सभी नकदी बाजार में किए जाने वाले संस्थागत कारोबार पर टी +1 के आधार पर मार्जिन लगाया जाएगा। कारोबार के सुनिश्चित होने पर यह मार्जिन कस्टोडियन से ले लिया जाएगा। बाद में 16 जून से मार्जिन का संग्रह अग्रिम आधार पर किया जाएगा।
बाजार नियामक ने स्टॉक एक्सचेंजों से कहा है कि वे सॉफ्टवेयर का परीक्षण करें और इसके परिचालन संबंधी खामियों को 16 जून से पहले दूर कर लें ताकि इस प्रणाली के जीवंत होने के बाद किसी प्रकार की समस्या न हो। इसके अतिरिक्त स्टॉक एक्सचेंजों को तत्संबंधी नियम कानूनों में भी संशोधन करने की जरुरत है ताकि नये नियमों को क्रियान्वित किया जा सके।
21 अप्रैल से शुरू होगी शार्ट-सेलिंग
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को कहा कि शार्ट-सेलिंग के अलावा प्रतिभूतियों की लेनदारी और उधारी का परिचालन 21 अप्रैल से प्रारंभ होगा। परिपत्र में स्टॉक एक्सचेंज और डिपोजिटीरीज से प्रासंगिक कानूनों में अनिवार्य फेरबदल करने, दिशानिर्देशों को लागू करने के लिये नियम बनाने, परिपत्र को बोक्रर या सदस्यों और डिपोजिटरी भागीदारों की जानकारी में लाने और सेबी को प्रति माह अधिरोपण की रिपोर्ट के विषय में जानकारी देने के लिये कहा गया है।
इस परिपत्र के लागू करने संबंधी सारी जानकारी सेबी को देनी पड़ेगी।सेबी ने यह परिपत्र 20 दिसंबर 2007 को जारी किया था। इस सर्कुलर में संस्थागत निवेशकों और संपूर्ण प्रतिभूति लेनदार एवं उधारी स्कीम तहत शार्ट-सेलिंग को एक संरचनात्मक रुप देने के लिये दिशा-निर्देश दिये गये थे।