राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के आज से पूरे देश में लागू होने के बार ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि मंत्रालय इस पर पूरी नजर रखेगा।
इस बात की कोशिश की जाएगी कि वित्त वर्ष 2008-09 में यह पूरी तरह से समस्याओं से मुक्त हो जाए।सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम इस बात से सहमत हैं कि परियोजना को लागू करने में ढेर सारी समस्याएं हैं। ये समस्याएं सामान्यतया स्थानीय स्तर पर आती हैं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए हम आवश्यक कदम उठाएंगे, जिससे इसके उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।’
उन्होंने कहा कि 2007-08 के दौरान इस योजना की 3.10 करोड़ परिवारों को जरूरत थी। 330 जिलों में इसके संचालन में 3.08 करोड़ ग्रामीण परिवारों को इससे रोजगार मिला। इस मद में वर्ष 2008-09 में (आपरेटिंग फंड सहित) 17,948 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक फरवरी 2008 तक 13,101.5 करोड़ रुपये खर्च किया गया। वहीं कुल खर्च का 68 प्रतिशत यानी 8892.45 करोड़ रुपये मजदूरी देने में खर्च हुआ।
दैनिक मजदूरी केरल में 125 रुपये और गुजरात में 50 रुपये के बीच है। वर्ष 2008-09 में इस मद में कुल 16,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में काम करने वाले श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान बैंकों व डाकघरों के जरिए करने के लिए केन्द्र सरकार ने सभी मजदूरों का बैंकों एवं डाकघरों में खाता खुलवाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘हम चाहते हैं कि रोजगार गारंटी योजना में काम करने वाले सभी मजदूरों को उनके पारिश्रमिक का भुगतान बैंकों एवं डाकघरों के जरिए हो और इसके लिए सभी मजदूरों का डाकघरों एवं बैंकों में खाता खुले।’