सर्व शिक्षा अभियान की सबसे बड़ी कमी प्रशिक्षित शिक्षकों का अभाव है। 2008-09 के बजट में भी यह समस्या पहले की ही तरह बनी हुई है।
बच्चों की शिक्षा के लिए चलाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े अभियान में सरकार हर साल लाखों शिक्षकों की नियुक्ति करती है। आज भी सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों की ही है और ज्यादातर शिक्षक अस्थार्यी तौर पर रखे गए हैं।इन शिक्षकों के पास अनुभव की कमी है, जो गंभीर समस्या है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकार ने शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए मोटी रकम का आवंटन किया है, लेकिन हर साल लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है।
वर्ष 2008-09 के बजट में दिखाया गया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 2007-08 में 3539559 शिक्षकों को 20 दिन का प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा था, लेकिन 9 महीनों में केवल 54 प्रतिशत (1914575) लक्ष्य ही हासिल किया जा सका है। यह तब हुआ जब सरकार का कहना है कि उसने 8.8 लाख शिक्षकों (78 प्रतिशत) की नियुक्तियां की हैं। हालांकि कुल 11.34 लाख शिक्षकों को नियुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था।
कुछ महीने पहले बिजनेस स्टैंडर्ड के सर्वे बाद कहा गया था कि आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में किसी भी प्राथमिक स्कूल के शिक्षक ने अपना प्रशिक्षण पूरा नहीं किया था। इनमें से ज्यादातर शिक्षकों के पास बीएड की डिग्री नहीं है, जो किसी विद्यालय के लिए जरूरी होता है। उन्हें विद्या वालेंटियर्स नाम दिया गया, और राज्य ने उन्हें कांट्रैक्ट के आधार पर नौकरी दे दी। शिक्षण कौशल के अभाव में ये शिक्षक ( इनमें से कुछ के पास डिग्री भी नहीं है) 40-50 छात्रों की क्लास को व्यवस्थित करने में सक्षम नहीं होते। शिक्षण का स्तर भी बहुत नीचे होता।
यह समस्या वास्तविक तथ्यों को उजागर करती है कि 2006-07 के वित्त वर्ष में केवल 87 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल किया जा सका है। कुल 2952395 शिक्षकों को ही प्रशिक्षण दिया जा सका जबकि लक्ष्य था 3405615 शिक्षकों को प्रशिक्षण देने का।बहरहाल सर्व शिक्षा अभियान इंफ्रास्ट्रक्चल के स्तर पर सही रास्ते पर नजर आता है। आगामी बजट में कहा गया है कि दिसंबर के अंत तक 184536 विद्यालयों की इमारतें ठीक की गईं।
इस स्तर पर 85 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है। लक्ष्य 216237 विद्यालयों की इमारतें तैयार करने का था। 756030 कमरों का निर्माण शिक्षण के लिए किया गया। 175413 (92.6 प्रतिशत) विद्यालयों में पेयजल की व्यवस्था की गई और 221851 (91.2 प्रतिशत) विद्यालयों में शौचालय का इंतजाम किया गया।
मंत्रालय का यह भी दावा है कि 6.91 करोड़ किताबें मुफ्त वितरित करने का लक्ष्य रखा गया था, इसमें 6.53 करोड़ किताबों का वितरण कर 94 प्रतिशत लक्ष्य हासिल कर लिया गया है।