स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितता के मुद्दे पर वामदलों का विरोध झेल रहे दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने दूरसंचार आयोग को नए यूएएसएल ऑपरेटरों के लाइसेंस नियमों मे संशोधन करने को कहा है।
इसके तहत नए ऑपरेटर एक निश्चित समय से पहले अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकेंगे। इस मसले पर विचार करने के लिए दूरसंचार आयोग की ओर से मंगलवार को बैठक बुलाई गई है। बैठक में नए ऑपरेटरों को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए 3 से 5 सालों के लिए पाबंदी लगाने पर विचार किया जा सकता है।
यह पाबंदी उन प्रवर्तकों पर लागू होगी, जिनके पास दूरसंचार कंपनी में 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी हो और वे सरकार के नियम के मुताबिक, यूएएसएल लाइसेंस के योग्य हों। हालांकि सरकार की इस पहल का नए ऑपरेटर विरोध कर सकते हैं और मामले को कोर्ट में भी ले जा सकते हैं।
दरअसल, ऑपरेटरों का कहना है कि सरकार के साथ जब उन्होंने समझौता किया था, तब ऐसी कोई पाबंदी नहीं थी कि प्रवर्तक अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकते हैं। 2जी स्पेक्ट्रम की बिक्री के मसले पर वामदलों ने दूरसंचार मंत्री राजा को निशाने पर लेते हुए कहा है कि इससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
दरअसल, दो नई दूरसंचार कंपनियों- स्वान टेलिकॉम और यूनिटेक वायरलेस ने हाल ही में विदेशी कंपनियों को काफी कीमत पर अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी बेच दी है। वामदलों ने आरोप लगाया कि स्पेक्ट्रम आबंटन में अनियमितता की वजह से सरकार को 60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
यूनिटेक ने देशभर के 22 सर्किलों में लाइसेंस के लिए 1650 करोड़ रुपये सरकार को भुगतान किया है। जबकि कंपनी ने नॉर्वे की दूरसंचार कंपनी टेनिलोन को अपनी 60 फीसदी हिस्सेदारी करीब 11,620 करोड़ रुपये में बेच दी है। इसी तरह एतिसालात ने स्वान के 45 फीसदी शेयर 9,400 करोड़ रुपये में खरीदे हैं।
नए ऑपरेटरों में से एक के निदेशक ने बताया कि यूएएसएल लाइसेंस नियमों में किसी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा और दूरसंचार विभाग की ओर से ऐसा होता है, तो उसे अदालत में चुनौती दी जाएगी।
विश्लेषक महेश उप्पल का कहना है कि नियमों में बदलाव को लागू करना बेहद कठिन होगा। इससे अच्छा यही होता कि सरकार स्पेक्ट्रम लाइसेंस की फीस को ही उपयुक्त रखती। उनके मुताबिक, शुरू में कम दर पर लाइसेंस आवंटित करने की वजह से ही यह समस्या हो रही है। हालांकि मौजूदा मोबाइल ऑपरेटर राजा के इस कदम की सराहना कर रहे हैं।
स्पेक्ट्रम आबंटन मसले पर वामदलों का विरोध, कहा सरकार को 60,000 करोड़ रुपये का लगा चूना
यूनिटेक और स्वान टेलिकॉम की ओर से हिस्सेदारी बेचने से उठा बवाल