सरकार ने जलवायु परिवर्तन और उससे खाद्यान्न उत्पादन पर होने जा रहे दुष्प्रभावों से निपटने के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान नामांकित डा एम एस स्वामीनाथन के पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि जलवायु परिवर्तन और खाद्यान्न उत्पादन पर उसके दुष्प्रभावों को लेकर सरकार चिंतित है और इस पर विचार करने के लिए इसी सप्ताह मंत्रियों की एक बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने बताया कि बैठक में जलवायु परिवर्तन पर एक कार्ययोजना बनाने का फैसला किया गया ताकि खाद्यान्न उत्पादन को उसके दुष्प्रभावों से बचाया जा सके।
पर्यावरण एवं वन राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने बताया कि यह कार्ययोजना जून तक तैयार कर ली जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों में गेहूं का उत्पादन लगातार बढ़ा है। वर्ष 2004-05 में 6.8 करोड़ टन गेहूं 2005-06 में 6.9 करोड़ टन गेहूं और 2006-07 में 7.3 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ। लेकिन जलवायु परिवर्तन से गेहूं का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
मीणा ने बताया कि जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की चौथी मूल्यांकन रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन का असर विश्व के अलग अलग देशों में खाद्यान्न उत्पादन पर अलग अलग पड़ेगा। सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति गठित की है और इसे तीन साल का समय दिया गया है। रिपोर्ट मिलने पर कार्रवाई होगी।