छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद भी पैसे कमाने के लिए प्राइवेट सेक्टर अब भी सरकारी नौकरी पर काफी भारी पड़ रहा है।
इन सिफारिशों के तहत आधिकारिक आयोग द्वारा सचिवों और मंत्रिमंडल सचिव के वेतनमान में जितनी बढ़ोतरी के सुझाव दिए गए हैं, वह मध्यम आकार की निजी क्षेत्र कंपनी के निदेशक को मिलने वाले वेतन के मुकाबले कुछ भी नहीं है।
किसी कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी के समकक्ष आने वाले मंत्रिमंडल सचिव को 90,000 रुपए प्रति माह का वेतनमान (सालाना करीब 10 लाख रुपए) देने की सिफारिश की गई है जबकि अन्य सचिवों को वेतनमानों में भारी बढ़ोतरी के सुझाव के बावजूद 10 लाख रुपए से कम ही मिलेगा।
सचिव स्तर को अधिकारियों को 80 हजार रुपए प्रति माह का निर्धारित वेतन देने की सिफारिश की गई है और अन्य अधिकारियों को वेतन उनसे भी कम है, जिससे उनके और निजी क्षेत्र के हाई प्रोफाइल मुख्य कार्याधिकारियों के वेतनमानों बीच का फासला स्पष्ट होता है।
कई पूर्व सरकारी अधिकारियों को अपनी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज में नौकरी देने वाले मुकेश अंबानी 25 करोड़ रुपए का वेतन सालाना लेते हैं जबकि मीडिया मैग्नेट सन टीवी के कलानिधि मारन करीब 23 करोड़ रुपए सालाना कमाते हैं। सुनील भारती मित्तल को करीब 15 करोड़ रुपए का वेतन मिलता है जबकि प्रमुख फार्मा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैब्स के कार्यकारी अध्यक्ष अंजी रेड्डी को वेतन के तौर पर 14 करोड़ रुपए से थोड़ा ज्यादा मिलता है।
निजी क्षेत्र के करीब 300 कार्यकारियों को एक करोड़ रुपए सालाना से ज्यादा का वेतन मिलता है और यह संख्या आने वाले दिनों बढ़ती हुई ही दिखती है। जबकि सरकारी क्षेत्र की बात करें तो मंत्रिमंडल सचिव और समकक्ष थल-जल और वायु सेना प्रमुखों के अलावा कोई भी अधिकारी 10 लाख रुपए के स्तर को भी पार नहीं कर पाएगा।
‘राज्य भी दे सकते हैं बढ़ी तनख्वाह’
वेतन आयोग ने कहा है कि आने वाले दिनों में कर राजस्व की होने वाली अपेक्षाकृत ज्यादा वसूली और मजबूत वित्तीय स्थिति से ज्यादातर राज्य सरकारों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद बढ़े हुए वेतनमानों को पूरा करने में मदद मिलेगी। आयोग की रपट में कहा गया कि विशेष तौर पर केंद्र के कर से होने वाली आय में बढ़ोतरी और राज्य में इसके हस्तांतरण के कारण आने वाले दिनों में राज्यों के राजस्व में भारी बढ़ोतरी होगी।
यह देखा गया कि ज्यादातर राज्य अतिरिक्त व्यय करने की स्थिति में हैं। पांचवें वेतन आयोग के मामले में 28 में से 20 राज्यों ने सिफारिशों को मान लिया था और उन्होंने इसके लिए 40,000 करोड़ रुपए का भार वहन किया था। केंद्रीय वेतन आयोग ने यह माना कि राज्य सरकारें अब ताजा सिफारिशों को भी लागू करेंगी।
रपट में कहा गया कि रिजर्व बैंक के मुताबिक 29 में से 19 राज्यों में 2007-08 के दौरान आय अधिशेष है। कई राज्यों ने वित्तीय सुधार और बजट प्रबंधन अधिनियम में प्रस्तावित राजस्व घाटे को खत्म करने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। रपट में कहा गया कि मूल्य वर्ध्दित कर (वैट) ने कर संग्रह में बढ़ोतरी में योगदान किया है।