सरकार के स्वामित्व वाली तीन तेल मार्र्केटिंग कंपनियों को 2007-08 की चौथी तिमाही में नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस घाटे की मार इस लिहाज से भी ज्यादा पड़ने की आशंका है क्योंकि ऐसी संभावना है कि सरकार इन कंपनियों के कुल रिटेल नुकसान का महज 42.7 फीसदी ही अपने कंधों पर ढोने को तैयार है। हालांकि, यह अलग बात है कि सरकार ने फरवरी में आश्वासन दिया था कि वह कुल घाटे का 57 फीसदी हिस्सा वह खुद सहेगी।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें सरकार की ओर से कोई ऐसा आश्वासन नहीं दिया गया है कि वह बांड्स जारी कर नुकसान का 57 फीसदी बोझ उठाएगी। हमें बस यही सूचना दी गई है कि नुकसान का 42.7 फीसदी हिस्सा सरकार वहन करेगी। ‘
उन्होंने साथ ही कहा कि अगर यह आंकड़ा 42.7 फीसदी पर ही सिमट कर रह जाता है, जैसा कि अब तक बताया गया है तो साफ है कि चौथी तिमाही में कंपनियों को घाटा होगा। उन्होंने कहा कि तेल की ऊंची कीमतों के बीच ऐसा होना स्वभाविक है।
वहीं इस मामले पर पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ऑयल बांड्स जारी करने को लेकर वित्त मंत्री से बात की जा रही है। आईओसी, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) को 2007-08 में सम्मिलित रूप से 78,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था। यह आंकड़ा अनुमान से 10 फीसदी अधिक रहा था।
वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में लगी आग को देखकर यह आशंका जताई जा रही है कि 2008-09 में कुल रिटेल नुकसान बढ़कर 1,30,000 करोड़ रु. तक पहुंच सकता है।
तेल पर फिसलन
77,000 करोड़ रुपये – 2007-08 में कंपनियों का राजस्व घाटा
1,30,000 करोड़ रुपये – 2008-09 के लिए अनुमानित राजस्व घाटा
57 फीसदी – फरवरी में सरकार की ओर से वादा
42.7 फीसदी – कंपनियों को ताजा आश्वासन