पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने शहरों में गैस वितरण करने वाली सभी कंपनियों से कहा है कि वे एक सप्प्ताह के भीतर नए लाइसेंस हासिल कर खुद को फिर से अधिकृत कर लें।
बोर्ड ने यह भी कहा है कि जब तक वे खुद को अधिकृत नहीं कर लेते तब तक खुदरा विक्रेता पाइपलाइप नेटवर्क में किसी प्रकार का कोई विस्तार न करें।ये कंपनियां इस दिशा में काम करना शुरू कर चुकी हैं, क्योंकि ये विनियामक 1 अक्टूबर 2007 को हीं अस्तित्व में आ चुकी थी। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देर्शों के बाद इन कंपनियों के लिए शहर चुनने का अधिकार पेट्रोलियम मंत्रालय को दिया गया था।
पीएनजीआरबी अब चाहती है कि ये कंपनियां फिर से लाइसेंस लें ताकि शहरों में गैसों का वितरण विनियामक बोर्ड की परिधि में आ जाए।बोर्ड ने दिल्ली की गैस वितरक कंपनी इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड, मुंबई की कंपनी महानगर गैस और गुजरात की कंपनी गुजरात गैस को कहा है कि वे 31 मार्च तक अपना लाइसेंस बना लें। इंद्रप्रस्थ गैस ने इस तिथि को आगे बढाने की अपील की थी लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया।
सिटी की एक गैस कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि हमने बोर्ड से फिर से प्राधिकृत होने के लिए एक पत्र प्राप्त किया है। उन्होंने आगे कहा कि फिर से प्राधिकृत होने का मतलब है अपने को फिर से स्थापित करना। जब इंद्रप्रस्थ लिमिटेड के निदेशक से जब इस पत्र के बारे में पूछा गया तो उन्होंने किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सरकार ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस बोर्ड कानून 2006 के बारे में 1 अक्टूबर 2007 को निर्देश तो जारी किए हैं लेकिन कानून की धारा 16 के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया है। यह धारा गैस कंपनियों से जुडी हुई है।
शहर की एक गैस कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि इस धारा के बारे में कोई निर्देश नहीं दिया गया है इसलिए विनियामक बोर्ड को इन कंपनियों के संदर्भ में कदम उठाने का कोई औचित्य नही बनता है। बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इन कंपनियों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड के पास कोई दिशा निर्देश उल्लिखित नहीं है।