वैसे तो हिंदुस्तान ने चांद की ओर अभी पहला कदम ही बढ़ाया है और अभी चांद की जमीं पर तिरंगा लगना बाकी है।
बावजूद इसके दुनिया का अगुआ अमेरिकी अंतरिक्ष कार्यक्रम संगठन नैशनल एयरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनस्ट्रेशन (नासा) अब भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को बहुत गंभीरता से ले रहा है।
नासा, अमेरिका से बाहर अपना सबसे बड़ा केंद्र पुणे के निकट स्थापित करने की योजना बना रहा है। यह केंद्र एक बड़े थीम पार्क की शक्ल अख्तियार करेगा। हालांकि, नासा ने अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं की है और मामला गोपनीय स्तर पर है। और यही बात इसके भारतीय साझेदार के बारे में भी कही जा सकती है।
उम्मीद जताई जा रही है कि लवासा कॉर्पोरेशन एक साल के भीतर 300 एकड़ से भी ज्यादा जमीन पर इस थीम पार्क को विकसित करने का काम करेगा। इसके साथ ही भारत में नासा के कदम भी पड़ जाएंगे। दरअसल नासा ऐसे ही भारत में अपनी मौजूदगी नहीं चाहता। इसकी भी वजह है।
पिछले दो दशकों के दौरान भारत दुनिया भर में अंतरिक्ष अनुसंधान, क्रियान्वयन और प्रबंधन में प्रमुख खिलाड़ी के तौर पर उभरा है। इस दौरान नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबंधों में भी मजबूती आई है और इसरो की कई परियोजनाओं में नासा ने भी सहयोग किया है।
फिलहाल नासा के अधिकारी इस योजना पर चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं लवासा कॉर्पोरेशन ने भी कुछ भी कहने से इनकार कर दिया है। लवासा कॉर्पोरेशन के मुख्य परिचालन अधिकारी राजगोपाल नोगजा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से सिर्फ इतना कहा, ‘नासा से हुई बातचीत गोपनीय है। मैं आपको फिलहाल इस योजना से जुड़ी कोई भी सूचना नहीं दे सकता। ‘
इस समझौते की आधिकारिक घोषणा के बाबत उन्होंने इतना ही कहा कि जब तक समझौते पर अंतिम सहमति नहीं बन पाएगी, तब तक इस बारे में कोई भी घोषणा नहीं होगी। यह तो सभी जानते हैं कि अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नासा बहुत नाम कमा चुका है। नासा की बुनियाद अमेरिकी राष्ट्रपति डी. आइजनहावर ने 1958 में रखी थी।
अमेरिका के इस कदम को तत्कालीन सोवियत संघ के 1957 में पहले कृत्रिम उपग्रह के प्रक्षेपण का जवाब माना गया था। नासा ने एक के बाद एक बड़े अभियान चलाए। इस संगठन ने 1969 में चंद्र अभियान को अंजाम दिया और 20 जुलाई 1969 को नील ऑर्मस्ट्राँग और बज एल्ड्रिन चंद्रमा पर पहुंचने वाले पहले मानव बन गए।
अमेरिका में नासा के 14 केंद्र हैं और दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी इसके कुछ केंद्र हैं। लेकिन भारत में प्रस्तावित इसका केंद्र अमेरिका से बाहर इसका सबसे बड़ा केंद्र होगा। नासा अपनी स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में अपना दायरा बढ़ाने की योजना बना रहा है। खासकर अनुसंधान और विकास, एकेडेमिक्स और जागरूकता फैलाने के कार्यक्रमों को लेकर नासा खासा गंभीर है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोफिजिक्स के लिए अंतर विश्वविद्यालय केंद्र बनाने के लिए पुणे का चयन किया गया है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस चयन पर अंतिम मुहर भी लग जाएगी। इस प्रस्तावित थीम पार्क को वरासगांव बांध के पास 300 एकड़ जमीन पर विकसित किया जाएगा।
यह जमीन हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) की कंपनी लवासा कॉर्पोरेशन की लेक सिटी योजना का हिस्सा है और इस जमीन को लेकर विवाद हो भी चुका है। नासा इस परियोजना में 150 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निवेश कर सकता है।
पुणे शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर यह प्रस्तावित इस थीम पार्क को सैलनियों और युवाओं नासा की गतिविधियों के प्रति लुभाने के मकसद से बनाया जा रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि नासा इस परियोजना में एक अनुसंधान एवं विकास केंद्र बनाने के बारे में भी गंभीरता से सोच रहा है जो नई तकनीकों और स्पेस ब्राउजिंग के क्षेत्र में काम करेगा।