केंद्र में संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने बढ़ती महंगाई पर आज लोकसभा में गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस संबंध में सरकार के रवैये के खिलाफ सदन से वाकआउट किया। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनाजों की आपूर्ति में कमी किए जाने का भी कड़ा विरोध किया है। पश्चिम बंगाल और केरल के जनवितरण प्रणाली में अनाजों की आपूर्ति को कम करने के निर्णय पर आज वाम दलों ने लोकसभा का बहिष्कार किया। इसी मुद्दे पर वामदल आज राजधानी में एक विरोध रैली भी कर रही है। प्रश्नकाल के बाद सीपीआई
केरल में गरीबी रेखा के ऊपर और नीचे बसर करने वाले के लिए चावल की आपूर्ति में 88 प्रतिशत की कमी कर दी गई है। पश्चिम बंगाल में उचित मूल्यों की दुकानों पर गेहूं की आपूर्ति में भी 50 प्रतिशत की कमी आई है। इस विरोध के बाद वाम दलों के अन्य सांसद भी इस विरोध में शामिल हो गए। सीपीआई नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कें द्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने जनवितरण प्रणाली की आपूर्ति में कटौती के लिए जान–बूझकर वाम शासित राज्यों को चुना है। उसने वित्त मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने इस बजट में महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। दासगुप्ता ने कहा कि मूल्यों में वृद्धि अव्यवहारिक अर्थव्यवस्था का परिचायक है। कुछ देर तक सदन के अंदर विरोध करने के बाद वाम दल के नेता विरोध करते हुए लोकसभा से बाहर निकल गए।
डब्ल्यूपीआई के लिए समिति
थोक मूल्य सूचकांक
(डब्ल्यूपीआई) के संगणन का अध्ययन करने और सिफारिश देने के लिए अभिजीत सेन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री अश्विनी कुमार ने सूरज सिंह और रामजीलाल सुमन के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि 26 दिसम्बर 2003 को बनाई गई समिति को अन्य बातों के अलावा हाल की अवधि तक आधार को अद्यतन करने, वस्तु सूची का दायरा बढ़ाने तथा भारिता आरेख बनाने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है। यह उन संरचनात्मक परिवर्तनों को दर्शाएगा जो अर्थव्यवस्था में घटित हुए हैं। उन्होंने बताया कि कार्य दल (वर्किग ग्रुप) का मौजूदा कार्यकाल 31 मार्च 2008 तक है। समिति ने अभी अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है।वायदा कारोबार पर रोक की मांग
आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर सरकार को घेरते हुए माकपा ने आज राज्यसभा में
24 आवश्यक जिंसों के वायदा कारोबार पर तुरंत रोक लगाने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने की मांग की। शून्यकाल में माकपा नेता सीताराम येचुरी ने यह मामला उठाते हुए कहा, ‘वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने महंगाई का न तो ठीक से रोग निदान किया है और न ही उपचार के लिए सही नुस्खा दिया है। उनकी सर्जरी ठीक हो सकती है लेकिन रोगी मर रहा है।‘ येचुरी ने कहा कि जिसों के वायदा कारोबार के कारण महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार को कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा सुझाए गए 24 जिंसों के वायदा कारोबार पर तुरंत रोक लगानी चाहिए।