वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा कि तेजी से बढ़ रही महंगाई से निबटने के लिए भारत सरकार आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकने के लिए हर संभव उपाय करेगी।
कमलनाथ सिंगापुर में अतुल्य भारत – 60 सम्मेलन के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि महंगाई पर नियंत्रण करने के लिए अगर कड़े कदम भी उठाने पड़े तो सरकार पीछे नहीं हटेगी।सरकार ने मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए पहले ही कुछ जिंसों के निर्यात पर अंकुश लगाया है और आयात में कुछ ढ़ील दी है।
इसके बावजूद महंगाई की लड़ाई में शिकस्त मिल रही है क्योंकि सीमेंट और इस्पात की कीमतें आसमान छू रही हैं। सीमेंट और इस्पात की कंपनियां दामों को बढ़ाने पर आमादा हैं। कमलनाथ ने स्पष्ट किया कि सरकार औद्योगिक विकास और विनियामक कानून की धारा 18 जी के तहत कंपनियों पर दाम कम करने का दबाव नहीं बना रही है। सीमेंट और इस्पात कंपनियों ने भी इस बात को कबूल किया है।
कमलनाथ ने कहा कि मूल्य नियंत्रण के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा आपूर्ति प्रबंधन से जुड़ी बाते हैं।नई आयात-निर्यात नीति भी अगले सप्ताह आने की संभावना है। उनसे जब पूछा गया कि क्या मूल्य नियंत्रण नीतियों पर भारी पड रहा है तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार किया । उन्होंने कहा कि रोजगार आधारित निर्यात उद्योगों के लिए विशेष पैकेज की व्यव्स्था की जाएगी।
तेल कीमतों में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती के बावजूद कमलनाथ 2007-08 में भारत के निर्यात प्रदर्शन की तारीफ कर रहे थे।चीन में भी मुद्रास्फीति की दी 11 वर्षों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी है लेकिन वह जिंस सहित डेयरी और खाद्य तेल के दामों को नियंत्रित रखने में सफल रहा है। पाकिस्तान में भी घरेलू सामानों की कालाबाजारी और जमाखोरी को रोकने के लिए 4 मिलों को सेना के नियंत्रण में ले लिया गया है।
उस समय कराची जैसे बड़े शहरों में भी आटे की किल्लत हो गई थी। भारत सरकार भी मूल्य पर नियंत्रण करने के लिए कुछ कानूनी प्रस्तावों की भी घोषणा कर सकती है। कमलनाथ ने कहा कि सरकार ऐसे हथकंडे का इस्तेमाल नहीं करेगी लेकिन इसका मतलब यह नही है कि सरकार महंगाई नियंत्रण करने के लिए कुछ नहीं करेगी।
टाटा स्टील और अन्य इस्पात बनाने वाली कंपनियों ने सरकार के दबाव में आकर मूल्य कम करने पर राजी हो गई थी। इस्पात सचिव आर एस पांडे ने नई दिल्ली में कहा कि निर्माण क्षेत्र में प्रयोग होने वाले बड़े उत्पादों की कीमतों में 2,000 रुपये प्रति मीट्रिक टन की कमी की जाएगी।