माइक्रोसॉफ्ट के ओपेन ऑफिस एक्सएमएल (ओओएक्सएमएल) फाइल फॉरमेट पर छाए संकट के बादल लाख कोशिशों के बाद भी छंटने का नाम नहीं ले रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आईएसओ) ने तो इसे नकारा ही है , भारतीय मानकों पर भी यह खरा नहीं उतर पाया है और इसे लाल झंडी दिखाई जा चुकी है।
लेकिन माइक्रोसॉफ्ट की कोशिशें अब भी जारी हैं और इसी बात पर आईआईटी मुंबई ऐतराज जताया है। संस्थान का कहना है कि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा नकारे जाने के बावजूद यह सॉफ्टवेयर दिग्गज ओपेन ऑफिस एक्सएमएल से जुड़ी जानकारियां देने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आला अधिकारियों से संपर्क साध रही है ताकि भारतीय मत को बदला जा सके।
गौरतलब है कि आईएसओ की जिस 15 सदस्यीय कमेटी ने ओओएक्सएमएल का परीक्षण कर रेड सिग्नल दिखाया था, आईआईटी मुंबई भी उसमें शामिल था। भारत की तरफ न करने का मतलब यह है कि माइक्रोसॉफ्ट को कोई सरकारी काम नहीं मिल सकेगा क्योंकि दुनिया भर में कोई भी सरकार प्रॉपराइटरी फॉर्मैट में डिजिटल डाटा नहीं रखना चाहेगी।
आईएसओ में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर दीपक बी पाठक ने बीआईएस के सभी सदस्यों को एक पत्र लिखकर माइक्रोसॉफ्ट के इस आरोप पर गहरी आपत्ति जताई है कि आईआईटी मुंबई और नेशनल इंफॉरमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) समेत दूसरे संस्थान ओडीएफ फॉरमैट के पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।
जहां एप्पल, नोवेल, विप्रो, इंफोसिस, टीसीएस और नैस्कॉम ओओएक्सएमएल फॉरमैट के हक में हैं वहीं गूगल, आईबीएम, सन माइक्रोसिस्टम्स समेत भारतीय सूचना-प्रौद्योगिकी विभाग, नेशनल इंफॉरमेटिक्स सेंटर, सी-डैक व आईआईटी मुंबई और आईआईएम अहमदाबाद ओपेन डॉक्यूमेंट फाइल फॉरमेट के पक्ष में हैं।
पाठक का कहना है कि ओडीएफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाना बेबुनियाद है क्योंकि शिक्षा संस्थानों के कोई व्यावसायिक हित नहीं हैं और इस तरह की बात कह कर माइक्रोसॉफ्ट ने भारतीय संगठनों और प्रतिनिधियों की वफादारी पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है।